पंजाब : यूक्रेन में फसे भारतीय छात्रों पर बोले भगवंत मान, कहा— भारत में मेडिकल शिक्षा महंगी, मजबूरी में यूक्रेन जैसे देश जाते हैं छात्र

मीडिया ग्रुप, 28 फ़रवरी, 2022

आम आदमी पार्टी पंजाब के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार और प्रदेश अध्यक्ष भगवंत मान ने सूबे में सरकारी मेडिकल कॉलेजों की फीस नियंत्रित करने पर जोर देते हुए कहा कि पंजाब और हरियाणा समेत देश के अन्य हिस्सों से हजारों छात्र मेडिकल व अन्य उच्च शिक्षा के लिए देश छोड़कर यूक्रेन, रूस, चीन, फिलीपींस और ताजिकिस्तान जैसे देशों में जाने को मजबूर हैं।

भगवंत मान ने कहा कि अगर आज युद्धग्रस्त यूक्रेन में भारतीय छात्र फंसे हैं तो इसके लिए पंजाब और हरियाणा समेत केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार जिम्मेदार है। इस बात पर कभी ध्यान ही नहीं दिया गया कि आखिर भारतीय छात्रों को मेडिकल या उच्च शिक्षा के लिए यूक्रेन जैसे देशों में जाने की मजबूरी क्या है।

मेडिकल की पढ़ाई करने के लिए विदेश जाने वालों में से अधिकांश छात्र सामान्य परिवारों से हैं, जो मेरिट की कमी के कारण मेडिकल कॉलेजों की सीमित सीटों पर स्थान पाने में असफल हो जाते हैं और जिनके पास निजी कॉलेजों में मोटी फीस भरने करने के लिए वित्तीय साधन नहीं होते।

मान ने कहा कि केंद्र और पंजाब सरकार ने राज्य के सरकारी मेडिकल कॉलेजों को हाशिए पर डाल दिया है। आजादी के बाद बनी योजना के अनुसार, 1966 के बाद पंजाब में पटियाला, फरीदकोट और अमृतसर मेडिकल कॉलेजों में एमबीबीएस की शुरुआत की गई थी लेकिन इन कॉलेजों में इतने साल बाद भी एमडी, एमएस की सीटों में मामूली बढ़ोतरी हुई है।

पिछले साल मोहाली में एक मेडिकल कॉलेज खोला गया। चार सरकारी मेडिकल कॉलेजों में कुल 675 एमबीबीएस सीटें हैं, जिसमें बीआर आंबेडकर मेडिकल कॉलेज की 100 सीटें भी शामिल हैं। यह आंकड़ा हरियाणा और हिमाचल प्रदेश से काफी कम है।

हालांकि पंजाब के आधा दर्जन निजी मेडिकल कॉलेजों में एमबीबीएस की करीब 770 सीटें हैं लेकिन उसके लिए छात्रों से न्यूनतम शुल्क 50 से 80 लाख रुपये तक वसूला जा रहा है। निजी मेडिकल कॉलेजों की महंगी फीस होने के कारण हजारों प्रतिभावान और साधारण परिवारों के छात्र मेडिकल की पढ़ाई करने से वंचित हो रहे हैं।

भगवंत मान ने आरोप लगाया कि पंजाब की पारंपरिक सरकारों ने शिक्षा माफिया के साथ मिलकर सरकारी मेडिकल कॉलेजों का विस्तार नहीं किया और निजी मेडिकल कॉलेजों को बढ़ावा दिया। पिछली सरकारों ने मेडिकल कॉलेजों की फीस नियंत्रित करने को लेकर सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों को भी लागू नहीं किया, जिसके कारण निजी मेडिकल कॉलेज छात्रों से महंगी फीस वसूल रहे हैं।

जुलाई 2013 में निजी मेडिकल कॉलेजों की फीस 20 से बढ़ाकर 30 लाख रुपये और फिर मार्च 2014 में 30 लाख से सीधे 41 लाख रुपये कर दी गई। 2004 के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुसार तीन साल तक कोई शुल्क नहीं बढ़ाया जा सकता है।

भगवंत मान ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से देशभर में बड़े पैमाने पर सरकारी मेडिकल कॉलेज खोलने और निजी मेडिकल कॉलेजों व विश्वविद्यालयों को उचित फीस वसूलने तक प्रतिबंधित करने की अपील की है।

मान ने कहा कि अगर ऐसा होता है तो मेडिकल व अन्य उच्च शिक्षा के लिए अपनी जान जोखिम में डालकर विदेश जाने वाले छात्रों का जीवन भी सुरक्षित रहेगा और देश का पैसा देश में ही रहेगा।