गुरुद्वारा श्री हरगोबिंद सर साहिब, नवाबगंज में सजाए गए धार्मिक दीवान

रिपोर्ट : दिवेंदर सिंह

गदरपुर। ऐतिहासिक गुरुद्वारा श्री गुरु हरगोविंद सर नवाब गंज‌ में अमावस्या के अवसर पर गुरमत समागम आयोजित किए गये। श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी के अखंड पाठ के भोग के उपरांत हजूरी रागी भाई हरजीत सिंह द्वारा ,”धुर की बाणी आई तिन सगली चिंत मिटाई” एवं आनंद भया मेरी माए सतगुरु मैं पाया; के कीर्तन के साथ संगत को निहाल किया।

कथावाचक भाई जसवीर सिंह द्वारा गुरू ग्रंथ साहिब जी के परिचय तथा गुरु शबद की कथा के उपरांत संगत को गुरबाणी के आधार पर अपने जीवन को संवारने का आहवान किया गया।‌ श्री मुक्तसर से आए ढाढी जत्था भाई लखविंदर सिंह द्वारा खालसा राज की स्थापना एवं संचालन करने वाले चार मुख्य स्तंभों के बारे में चर्चा करते हुए बताया कि शेरे पंजाब महाराजा रणजीत सिंह, अकाली बाबा फूला सिंह, दुनिया के चार महान योद्धाओं में से एक सरदार हरि सिंह नलवा एवं सरदार शाम सिंह अटारी खालसा राज के मुख्य स्तंभ थे, जिन्होने फौज के सहयोग से अफगानिस्तान,

पाकिस्तान, जम्मू कश्मीर, पंजाब, लेह लद्दाख एवं चीन तक खालसा राज की सीमा का विस्तार किया था और उन्होंने अपना सर्वस्व न्यौछावर कर के खालसा राज की स्थापना एवं अंग्रेजों से 40 वर्ष तक अपने खालसा राज को स्वतंत्र रखा।

उन्होंने कहा देश, समाज,धर्म एवं अपनी संस्कृति की रक्षा करने के लिए सभी को एकजुट होने की अपील की। इस अवसर पर कविश्री भाई सतनाम सिंह शौंकी द्वारा आगामी 14 मार्च को नानक शाही नव वर्ष की शुभकामनाएं प्रदान करते हुए शहीदी इतिहास सुनाकर शहीदों के जीवन से प्रेरणा लेने की अपील की गई,कार्यक्रम का संचालन भाई करमजीत सिंह द्वारा किया गया।

गुरमत समागम में सिख मिशनरी कॉलेज के प्रवक्ता कश्मीरा सिंह,भाई नरेंद्र सिंह ढाढ़ी जत्था भाई बलकरण सिंह मोगा, द्वारा भी गुरबाणी कथा एवं हरी जस गायन किया गया। मुख्य सेवादार बाबा अनूप सिंह ने सभी संगत का धन्यवाद करते हुए गुरमत सिद्धांतों पर चलकर गुरु की कृपा के पात्र बनने का आहवान किया।

इस अवसर पर दूर दराज से आई हजारों की संख्या में संगत ने श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी को माथा टेका तथा पवित्र सरोवर में स्नान करके गुरु का लंगर रूपी प्रसाद ग्रहण किया।