विधिक जागरूकता शिविर का आयोजन, छात्रों को साइबर अपराध, ट्रैफिक नियमों और नए कानूनों की दी गई जानकारी

उत्तराखंड। मोर्त्फोर्ट पब्लिक स्कूल, रुड़की में भारतीय जागरूकता समिति द्वारा विधिक जागरूकता शिविर का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में विभिन्न विभागों के अधिकारियों ने शिरकत की, जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में टीटीओ लक्सर रविंदर सैनी, हाई कोर्ट के अधिवक्ता ललित मिगलानी, CPU से एसआई मुकेश कुमार, एसआई मनोज शर्मा, कोतवाली रुड़की से एसआई अंशु चौधरी, एटीसी हरिद्वार से इंस्पेक्टर प्रीतम सिंह और एसआई संजय गौर मौजूद रहे। सभी अतिथियों का स्वागत स्कूल के प्रिंसिपल द्वारा किया गया।

शिविर के दौरान हाई कोर्ट के अधिवक्ता ललित मिगलानी ने छात्रों को साइबर क्राइम के खतरों के बारे में जागरूक किया। उन्होंने बताया कि साइबर अपराधी धोखाधड़ी के लिए फोन कॉल, ओटीपी मांगने या लिंक पर क्लिक करवाने जैसे तरीके अपनाते हैं। मिगलानी ने “ऑनलाइन अरेस्ट” के नाम पर होने वाली ठगी के नए चलन पर भी रोशनी डाली और कहा कि ऐसा कोई प्रावधान कानून में नहीं है। उन्होंने छात्रों को ऐसे किसी भी संदिग्ध कॉल के मामले में तुरंत पुलिस से संपर्क करने की सलाह दी।

ट्रैफिक नियमों की जानकारी देते हुए टीटीओ लक्सर रविंदर सैनी, CPU से एसआई मुकेश कुमार और एसआई मनोज शर्मा ने बताया कि नाबालिग द्वारा बिना लाइसेंस के वाहन चलाना गंभीर अपराध है, जिसमें 25 हजार रुपये का जुर्माना, माता-पिता की जेल, वाहन की जब्ती और लाइसेंस बनाने में देरी जैसी सख्त सजा हो सकती है। ओवरराइडिंग, हेलमेट न पहनना, तेज गति से वाहन चलाना, और सिग्नल्स का पालन न करना भी ट्रैफिक कानूनों का उल्लंघन माना जाता है, जिसके लिए जुर्माना और लाइसेंस निलंबन जैसी कार्रवाई हो सकती है।

कोतवाली रुड़की की एसआई अंशु चौधरी ने पुलिस की कार्यप्रणाली के बारे में जानकारी दी और बताया कि किसी भी आपात स्थिति में 112 पर कॉल करके पुलिस सहायता ली जा सकती है, जबकि महिला सुरक्षा के लिए 1090 पर शिकायत दर्ज की जा सकती है। उन्होंने छात्रों को ‘गोरा शक्ति’ एप्लीकेशन के इस्तेमाल और उससे अपनी सुरक्षा कैसे सुनिश्चित करें, इसके बारे में भी विस्तारपूर्वक बताया।

एटीसी हरिद्वार से इंस्पेक्टर प्रीतम सिंह और एसआई संजय गौर ने नए कानूनों के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि 1 जुलाई से तीन नए कानून लागू हुए हैं, जिन्हें भारतीय न्याय संहिता, भारतीय न्याय सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम के नाम से जाना जाता है। अब एफआईआर किसी भी थाने में की जा सकती है, जिसे “जीरो एफआईआर” कहा जाता है, और ऑनलाइन एफआईआर दर्ज करने के बाद तीन दिन के भीतर उसकी पुष्टि के लिए थाने जाना अनिवार्य है।

इस कार्यक्रम में समिति के वरिष्ठ सदस्य अर्चना शर्मा, कार्यक्रम सचिव दीपाली शर्मा, विनोद कुमार, प्राची शर्मा, और अर्पिता सहित अन्य सदस्य भी उपस्थित रहे।