पुलिस द्वारा फर्जी मुठभेड़ दिखाकर एनकाउंटर में 10 सिख युवकों की हत्या के मामले में 43 पुलिसकर्मियों को उम्रकैद की सजा का आदेश।
मीडिया ग्रुप, 16 दिसंबर, 2022
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 1991 के 10 सिखों के एनकाउंटर मामले में 43 पुलिसकर्मियों को दोषी करार दिया है। अदालत ने दोषी पुलिसकर्मियो को उम्रकैद की सजा सुनाई है। कोर्ट ने मामले पर फैसला सुनाते हुए कहा कि कानून का गलत इस्तेमाल किया गया। बता दें कि 12 जुलाई 1991 को नानकमथा पटना साहिब, हुजूर साहिब व अन्य तीर्थ स्थलों की यात्रा करते हुए 25 सिख यात्रियों का जत्था बस से लौट रहा था।
पीलीभीत के कछाला घाट के पास पुलिस वालों ने बस को रोका और 11 युवकों को उतारकर अपनी नीली बस में बैठा लिया। इनमें से दस की लाश मिली जबकि शाहजहांपुर के तलविंदर सिंह का आज तक पता नहीं चला। पुलिस ने मामले को लेकर पूरनपुर, न्यूरिया और बिलसंडा थाने में तीन अलग-अलग मुकदमे दर्ज किए थे। विवेचना के बाद पुलिस ने इन मामलों में फाइनल रिपोर्ट लगा दी थी।
एक वकील ने सुप्रीम कोर्ट में मामले को लेकर जनहित याचिका दाखिल की थी। सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने 15 मई 1992 को मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी थी। सीबीआई ने मामले की विवेचना केबाद 57 पुलिस कर्मियों के खिलाफ सुबूतों के आधार पर चार्जशीट दायर की थी। अदालत ने मामले में 47 को दोषी ठहराया था, जबकि 2016 तक 10 की मौत हो चुकी थी।
सीबीआई ने अपनी चार्जशीट में 178 गवाह बनाए थे। पुलिसकर्मियों के हथियार, कारतूसों समेत 101 सुबूत तलाशे गए थे। जांच एजेंसी ने 207 कागजातों को भी अपनी 58 पन्नों की चार्जशीट में साक्ष्य के तौर पर शामिल किया था।
इन लोगों को बस से उतारकर मारा गया
नरिंदर सिंह उर्फ निंदर, पिता दर्शन सिंह, पीलीभीत
लखविंदर सिंह उर्फ लाखा, पिता गुरमेज सिंह, पीलीभीत
बलजीत सिंह उर्फ पप्पू, पिता बसंत सिंह, गुरदासपुर
जसवंत सिंह उर्फ जस्सा, पिता बसंत सिंह, गुरदासपुर
जसवंत सिंह उर्फ फौजी, पिता अजायब सिंह, बटाला
करतार सिंह, पिता अजायब सिंह, बटाला
मुखविंदर सिंह उर्फ मुखा, पिता संतोख सिंह, बटाला
हरमिंदर सिंह उर्फ मिंटा, पिता अजायब सिंह, गुरदासपुर
सुरजनसिंह उर्फ बिट्टो, पिता करनैल सिंह, गुरदासपुर
रनधीर सिंह उर्फ धीरा, पिता सुंदर सिंह, गुरदासपुर
नोट : तलविंदर सिंह पिता मलकैत, शाहजहांपुर (गुमशुदा बताए गए)