मीडिया ग्रुप, 12 अक्टूबर, 2021
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव जैसे-जैसे नजदीक आ रहे हैं, वैसे-वैसे राजनीतिक दलों ने अपने सियासी अभियान भी तेज कर दिए हैं। लखीमपुर हिंसा से कांग्रेस को सियासी संजीवनी मिली तो प्रियंका गांधी सूबे में चिमटा गाड़ कर बैठ गईं हैं।
2022 के चुनाव की फाइट से बाहर नजर आ रही कांग्रेस को प्रियंका फ्रंटफुट पर लाने में जुटी हैं। ऐसे में यूपी की सियासी फिजा भी बदलती हुई नजर आ रही है। वहीँ अभी तक बड़े दलों के साथ गठबंधन के लिए इंकार करने वाले सपा प्रमुख अखिलेश यादव का मन बदल रहा है और अब वो बीजेपी को चुनावी मात देने के लिए गठबंधन के लिए भी तैयार नजर आ रहे हैं। ऐसे में कयास लगाये जा रहे है कि सपा कांग्रेस से गठबंधन कर सकती है।
लखीमपुर खीरी की घटना को लेकर योगी सरकार के खिलाफ आक्रमक रुख अपनाने वाला विपक्षी दल के नेता उत्तर प्रदेश के जमीन पर उतर कर अपने-अपने पक्ष में माहौल बनाने की तैयारी में है। नवरात्र के पहले दिन से ही यूपी में विपक्ष 2022 के लिए चुनावी हुंकार भरने जा रहा है।
सपा प्रमुख अखिलेश यादव और प्रगतिशील समाजवादी पार्टी अध्यक्ष शिवपाल यादव फिर से अपने-अपने रथ पर सवार हों गए है। वहीं कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी काशी से चुनावी अभियान की शुरुआत कर चुकी हैं जबकि आरएलडी प्रमुख जयंत चौधरी अपने दादा चौधरी चरण सिंह के जन्मभूमि से मिशन-2022 का आगाज कर रहे है।
वही लखीमपुर की घटना के बाद वारणसी में प्रियंका गांधी के सियासी तेवर और कांग्रेस की ‘किसान न्याय रैली’ में उमड़ी भीड़ से सिर्फ सत्तारुढ़ बीजेपी की ही नहीं बल्कि विपक्षी दल भी अपने-अपने नफा और नुकसान तौलने में जुट गए हैं। यही वजह है कि अभी तक बड़े दलों के साथ गठबंधन के लिए इंकार करने वाले सपा प्रमुख अखिलेश यादव का दिल बदल रहा है और अब वो बीजेपी को चुनावी मात देने के लिए गठबंधन के लिए भी तैयार नजर आ रहे हैं।
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी रविवार को जिस समय वाराणसी से पूर्वांचल में चुनावी हुंकार भर रही थीं उसी दौरान पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव सहारनपुर के तीतरो से पश्चिम यूपी को साधने की कवायद में जुटे थे। अखिलेश यादव ने कहा कि बीजेपी को हराने के लिए आवश्यतकता पड़ी तो पार्टी गठबंधन भी करेगी, लेकिन गठबंधन अपनी शर्तों पर होगा और पार्टी कार्यकर्ताओं का ध्याकन रखा जाएगा।
अखिलेश यादव ने सहारनपुर में लोगों को बीजेपी से सावधान करते हुए कहा कि यूपी के 2022 विधानसभा चुनाव जीतने के लिए यह लोग कुछ भी कर सकते हैं। ऐसे में हम भी बीजेपी को रोकने के लिए कोई भी कदम उठा सकते हैं। हम एलायंस भी बनायेंगे और अपने लोगों का सम्मान भी बचाने का काम करेंगे। हालांकि, अखिलेश यादव ने गठबंधन के लिए किसी पार्टी का नाम नहीं लिया। सपा प्रमुख के इस बयान के सियासी मायने निकाले जाने लगे हैं।