मीडिया ग्रुप, 05 जून, 2023
सोर्स – शुभम वाधवा
विश्व पर्यावरण दिवस लगभग 100 से भी अधिक देशों के लोगों के द्वारा 5 जून को मनाया जाता है। इसकी घोषणा और स्थापना संयुक्त राष्ट्र महासभा के द्वारा 1972 में हुई थी।
हालांकि इस कार्यक्रम को हर साल मनाने की शुरुआत 1973 से हुई। इसका वार्षिक कार्यक्रम संयुक्त राष्ट्र के द्वारा घोषित की गई विशेष थीम या विषय पर आधारित होता है।
इस अभियान का समारोह प्रत्येक वर्ष अलग-अलग शहरों के द्वारा आयोजित किया जाता है, जिसके दौरान पूरे सप्ताह अन्तर्राष्ट्रीय प्रदर्शनियाँ लगाई जाती है।
इस अभियान के आयोजन के माध्यम से संयुक्त राष्ट्र लोगों को पर्यावरण के बारे में जागरुकता और प्रोत्साहन को बढ़ावा देता है। यह सकारात्मक सार्वजनिक गतिविधियाँ और राजनीतिक ध्यान प्राप्त करने के लिए प्रभावी वार्षिक अभियान है।
इसे अधिक प्रभावी बनाने और वर्ष की विशेष थीम या विषय के उद्देश्यों को पूरा करने के लिए विभिन्न गतिविधियों और कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है।
विभिन्न क्रियाएं; जैसे- निबंध लेखन, पैराग्राफ लेखन, भाषण, नाटक का आयोजन, सड़क रैलियाँ, प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता, कला और चित्रकला प्रतियोगिता, परेड, वाद-विवाद, आदि का आयोजन किया जाता है।
लोगों में पर्यावरण के प्रति जागरुकता लाने के लिए अन्य प्रकार की प्रदर्शनियों को भी आयोजित किया जाता है। यह सामान्य जनता सहित शिक्षाविदों, पर्यावरणविदों, प्रोफेसरों, वैज्ञानिकों, राजनीतिज्ञों, आदि के समूहों को आकर्षित करता है।
मेजबान शहर के अलावा विश्व पर्यावरण दिवस वाले दिन, यह अन्य देशों के द्वारा वैयक्तिक रुप से अपने राज्यों, शहरों, घरों, स्कूलों, कॉलेजों, सार्वजनिक स्थलों आदि पर परेडों और सफाई गतिविधियाँ, रीसाइक्लिंग पहल, वृक्षारोपण के साथ सभी प्रकार की हरियाली वाली गतिविधियों को प्रोत्साहित करने और लोगों को इस खूबसूरत ग्रह की बुरी परिस्थितियों की ओर ध्यान देने के लिए आयोजित किया जाता है।
इस दिन सार्वजनिक अवकाश नहीं होता इस प्रकार सभी स्कूल और कार्यालय खुले रहते हैं और कोई भी अवकाश नहीं लेता है।
यह कार्यक्रम इस पृथ्वी की सुन्दरता को बनाए रखने के लिए कुछ सकारात्मक गतिविधियों के लिए एकसाथ कार्य करने की एक पहल है।
हमें पूरे सालभर कार्यक्रम के उद्देश्यों को अपने ध्यान में रखना चाहिए और उन्हें वृक्षारोपण के माध्यम से आसपास के वातावरण को सुन्दर बनाने और साफ-सफाई, पानी की बचत, बिजली का कम प्रयोग, जैविक और स्थानीय खाद्य पदार्थों का उपयोग, जंगली जीवन की सुरक्षा आदि बहुत सी गतिविधियों को कार्यरुप में बदलना चाहिए।
जीवन के लिए हमारे पास एकमात्र यही ग्रह है, यह हमारा घर है और हम सभी इसकी प्राकृतिक सुन्दरता को सदैव के लिए बनाए रखने के लिए जिम्मेदार है।