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सर्दियों के इस मौसम में जुकाम-खांसी होना काफी सामान्य है, आमतौर पर यह सामान्य घरेलू उपचार और दवाइयों के माध्यम से ठीक भी हो जाती है। पर क्या आपको खांसते-छींकते समय छाती के आसपास दर्द बना रहता है? अगर हां तो इस तरह की स्थिति के बारे में सावधान हो जाइए।
इस तरह के दर्द को नजरअंदाज कर देना गंभीर स्वास्थ्य जटिलताओं का कारण बन सकता है। अगर आपको पिछले कुछ समय से यह दिक्कत बनी हुई है तो समय रहते डॉक्टर से संपर्क करके इसकी जांच करा लें। इसे सीने में संक्रमण के कारण होने वाली दिक्कत भी माना जाता है।
खांसते-छींकते समय होने वाले दर्द को प्लुरिसी नामक मेडिकल कंडिशन के रूप में जाना जाता है, इस स्थिति में दर्द धीरे-धीरे कंधे और पीठ तक फैलने लग जाता है। प्लूरिसी, प्लूरा में होने वाले इंफ्लामेशन की समस्या है। प्लूरा, आपके फेफड़ों के बाहर लिपटी एक पतली झिल्ली नुमा ऊतक है जो फेफड़ों की सुरक्षा करती है।
इसमें होने वाली समस्या पर ध्यान न देना आपके स्वास्थ्य जटिलताओं को बढ़ाने वाली हो सकती है। आइए इस समस्या के लक्षण और बचाव के तरीकों के बारे में आगे विस्तार से समझते हैं।
प्लुरिसी की समस्या और सीने में होने वाले सामान्य दर्द के बीच अक्सर अंतर कर पाना कठिन होता है। हालांकि इसमें ध्यान देने वाली बात यह है कि प्लुरिसी का दर्द सांस लेने, खांसने या छींकने पर बढ़ जाता है। कुछ लोगों में यह सांस की तकलीफ का भी कारण बन सकती है।
इसके कारण बुखार और कफ आने की भी दिक्कत हो सकती है। यह समस्या किसी भी उम्र के व्यक्ति को हो सकती है, इसलिए सभी को विशेष सावधानी बरतते रहने की सलाह दी जाती है।
स्वास्थ्य विशेषज्ञ बताते हैं, कई ऐसी स्थितियां हैं जो प्लुरिसी का कारण बन सकती है, ऐसे में इसकी सही जानकारी और बचाव के बारे में जानना बहुत आवश्यक है। वायरल संक्रमण जैसे फ्लू (इन्फ्लूएंजा), बैक्टीरियल संक्रमण जैसे निमोनिया, ऑटोइम्यून विकार, टीबी आदि के कारण इस तरह की समस्याओं का जोखिम अधिक होता है। रिब फ्रैक्चर या सीने में चोट और दवाइयों के दुष्प्रभावों के कारण भी इस तरह की दिक्कतों के विकसित होने का जोखिम देखा गया है।
प्लूरिसी का समय रहते पता चल जाने पर इसका इलाज और इससे संबंधित जटिलताओं को आसानी से कम करने में मदद मिल सकती है। इसके लिए जांच के आधार पर उन कारणों के बारे में जानने की कोशिश की जाती है जो प्लुरिसी का कारण बनती है। यदि यह बैक्टीरियल संक्रमण के कारण होने वाली दिक्कत है तो इसमें एंटीबायोटिक दवाओं को प्रयोग में लाया जाता है। दर्द और सूजन के इलाज के लिए आमतौर पर नॉनस्टेरॉइडल एंटी-इंफ्लेमेटरी ड्रग्स (एनएसएआईडी) को प्रयोग में लाया जाता है।
दैनिक जीवन में कुछ बातों का ध्यान रखकर प्लुरिसी के जोखिमों को कम किया जा सकता है। इसके लिए धूम्रपान छोड़ना सबसे आवश्यक है। बैक्टीरिया या वायरल संक्रमण को रोकने के लिए स्वच्छता का विशेष ध्यान रखें। हाथ धोना इसमें आपके लिए विशेष मददगार है। लंबे और गहरे सांस के अभ्यास की आदत फेफड़ों को स्वस्थ रखने और इससे संबंधित बीमारियों के जोखिमों को कम करने में मददगार है।