भारत के भविष्य के लिए खतरा बन रही बढ़ती बेरोजगारी

मीडिया ग्रुप, 27 जून, 2022

लेखक – राहुल चिलाना 7500081108

जहाँ रोजगार नहीं होता तथा जिन लोगों के पास रोजगार नहीं होता उन्हें बेरोजगार कहते है। बेरोजगारी स्वंय तथा देश की उन्नति के रास्ते में एक बड़ी समस्या है। काम करने की इच्छा करने वाले को काम न मिलना को भी बेरोजगारी कहते है। आज भारत में बेरोजगारी की समस्या प्रमुख है।

बेरोजगारी के कारन बहुत से परिवार आर्थिक दशा से खोखले हो चुके हैं। हमारे देश में आर्थिक योजनाएँ तब तक सफल नहीं हो पाएंगी जब तक बेरोजगारी की समस्या खत्म नहीं हो जाती। आज हम स्वतंत्र तो हैं लेकिन अभी तक आर्थिक दृष्टि से सक्षम नहीं हुए हैं।

हमारे देश में बेरोजगारी की संख्या दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है । देश में लगातार बढती जनसंख्या के कारन जितने व्यक्तियों को काम दिए जाते हैं उनसे दुगने लोग बेरोजगार हो जाते हैं। सरकार ने जनसंख्या को कम करने के कई अप्राकृतिक उपाय खोजे हैं लेकिन इसके बाद भी जनसंख्या लगातार बढती ही जा रही है।

जनसंख्या में वृद्धि के कारण देश का संतुलन बिगड़ रहा है। जनसंख्या में वृद्धि के अनुपात की वजह से रोजगारों की कमी हो रही है इसी वजह से बेरोजगारी बढती जा रही है।

देश में उचित शिक्षा प्रणाली न होने के कारण से भी बेरोजगारी में वृद्धि हो रही है। उचित शिक्षा की कमी, रोजगार के अवसरों की कमी, कौशल की कमी, प्रदर्शन संबंधी मुद्दे और बढ़ती आबादी सहित कई कारक भारत में इस समस्या को बढ़ाने में अपना योगदान देते हैं। आधुनिक शिक्षा प्रणाली में रोजगार उन्मुख शिक्षा की व्यवस्था नहीं होती है जिससे बेरोजगारी और अधिक बढती है।

इसी वजह से जो व्यक्ति आधुनिक शिक्षा ग्रहण करते हैं उनके पास नौकरियां ढूंढने के अलावा और कोई उपाय नहीं होता है। शिक्षा पद्धिति में परिवर्तन करने से विद्यार्थी शिक्षा का समुचित प्रयोग कर पाएंगे। विद्यार्थियों को तकनीकी और कार्यों के बारे में शिक्षा देनी चाहिए ताकि वे अपनी शिक्षा के बल पर नौकरी प्राप्त कर सकें। सभी सरकारी और गैर सरकारी विद्यालयों में शिक्षा के साथ व्यापार का भी ज्ञान देना चाहिए जिससे आगे चलकर नौकरी ना मिलने पर स्वंय का व्यापार स्थापित कर सके।

उद्योग धंधो की अवनति के कारण भी बेरोजगारी बढती जा रही है। आकलन के मुताबिक हर साल लाखों लोग बेरोजगार होते थे लेकिन अब इनकी संख्या करोंड़ों से भी ऊपर हो गई है। देश में महंगाई के कारन व्यापार में गिरावट हो गयी है। जिसके चलते रोजगार मिलना कम हो गया है। हमारे देश में बहुत अधिक जनसंख्या है जिस वजह से उद्योग धंधों में उन्नति की बहुत अधिक आवश्यकता है।

उद्योग धंधों को सार्वजनिक क्षेत्रों में ही स्थापित किया गया है , जब तक घरेलू दस्तकारों को प्रोस्ताहन नहीं दिया जाएगा तब तक बेरोजगारी की समस्या ठीक नहीं हो सकती है। सरकार कारखानों की संख्या में वृद्धि कर रही है। उद्योग धंधों की स्थापना की जा रही है। उत्पादन क्षेत्रों को विकसित किया जा रहा है जिससे बेरोजगारी की संख्या कम हो सके।

बेरोजगारी की समस्या शहर और गाँव दोनों में उत्पन्न हो रही है। कई लोग गाँव के लोग शहरों में आकर बसने लगे हैं जिसकी वजह से बेरोजगारी बढती जा रही है। गांवों में लोग कृषि करना पसंद नहीं करते जिसकी वजह से गांवों की आधी जनसंख्या बेरोजगार रह जाती है। पुराने समय में वर्ण व्यवस्था में पैतृक व्यवसाय को अपना लिया गया था जिस वजह से बेरोजगारी कभी पैदा ही नहीं होती थी।

जब वर्ण-व्यवस्था के भंग हो जाने से पैतृक व्यवसाय को नफरत की नजर से देखा जाता है तो बेटा पिता के व्यवसाय को स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं होता है। औद्योगिक शिक्षा की तरफ ज्यादा ध्यान देना चाहिए ताकि शिक्षित लोगों की बेरोजगारी को कम किया जा सके। शिक्षा से लोग स्वालम्बी होते हैं। उन लोगों में हस्तकला की भावना पैदा नहीं होती है। आधे से भी ज्यादा लोग रोजगार की तलाश में भटकते रहते हैं और बेरोजगारों की लाइन और लंबी होती चली जाती है।

जनसंख्या वृद्धि को रोककर बेरोजगारी को नियंत्रित किया जा सकता है। जनसंख्या वृद्धि को रोकने के लिए विवाह की आयु का नियम कठोरता से लागु किया जाना चाहिए। साथ ही शिक्षा-पद्धिति में भी सुधार करना चाहिए। शिक्षा को व्यावहारिक बनाना चाहिए। विद्यार्थियों में प्रारंभ से ही स्वालंबन की भावना को पैदा करना होगा। देश के विकास और कल्याण के लिए पंचवर्षीय योजना को चलाया गया जिससे किसी भी राष्ट्र की पहली शर्त सब लोगों को रोजगार देना होता है।

लेकिन पहली पंचवर्षीय योजना से बेरोजगारी की समस्या और अधिक बढ़ गई थी। बढ़ती बेरोजगारी का समाधान है स्वदेशी उत्पादों को बढ़ावा देना, अपने देश में अधिक से अधिक उत्पाद बनेंगे तो देश में रोजगार की संख्या बढ़ेगी जिससे बेरोजगारी का मसला हल होगा।

बेरोजगारी स्वंय तथा देश की उन्नति के रास्ते में एक बड़ी समस्या है। सरकार के द्वारा बेरोजगारी को खत्म करने के लिए बहुत से कदम उठाये जा रहे हैं। बेरोजगारी उस संक्रामक बीमारी की तरह होती है जो अनेक बिमारियों को जन्म देती है। बेरोजगारी व्यक्ति की सच्चाई, ईमानदारी और दया का गला घोट देती है। बेरोजगारी लोगों को अनेक प्रकार के अत्याचार करने के लिए मजबूर करती है।

सरकार को नव युवकों को उद्यम लगाने के लिए ऋण दे रही है और उन्हें उचित प्रशिक्षण देने में भी साथ दे रही है। देश के नागरिक आशा कर रहे है की आने वाले कल में बेरोजगारी की समस्या पूरी तरह समाप्त हो जाए और देश की अर्थव्यवस्था और विकास मजबूत रहे।