उत्तराखंड : भाजपा का प्रचार चुनाव को धार्मिक रूप देने तक रहा सीमित, महंगाई, बेरोजगारी, भ्रष्टाचार के विषय से बचते नजर आये भाजपा के नेता।

मीडिया ग्रुप, 13 फरवरी, 2022

लेखक- गुरबाज सिंह, विधि सम्पादक-मीडिया ग्रुप 

उत्तराखंड की पांचवीं विधानसभा के लिए 14 फरवरी 2022 को होने वाले चुनाव के प्रचार का पहिया 12 फरवरी शनिवार को थम गया। उत्तराखंड में भाजपा और कांग्रेस दोनों ही पार्टियां मुख्य रूप से चुनाव में नजर आई जबकि आम आदमी पार्टी, उत्तराखंड क्रांति दल, बसपा, सपा के प्रत्याशीयों द्वारा भी चुनाव में अपनी किस्मत को आजमाया गया लेकिन इन सबके बीच मुख्य मुकाबला भाजपा और कांग्रेस के बीच होता दिख रहा है।

भाजपा पिछले 5 वर्षों से उत्तराखंड में सरकार में है और इस दौरान महंगाई और भ्रष्टाचार की मार आम मतदाताओं पर पड़ी है जिससे भाजपा नेताओं को इस बात का डर भी सता रहा है कि जनता सत्ता परिवर्तन चाहती है। इसके साथ ही उत्तराखंड में एक बार भाजपा और एक बार कांग्रेस के सत्ता में आने को लेकर बना मिथक भाजपा नेताओं को डरा रहा है।

जनता सत्ता परिवर्तन चाहती है, इस मिथक को तोड़ने के लिए भाजपा के तरकश में जितने भी तीर थे, उसने उनका भरपूर इस्तेमाल किया। प्रदेश की 70 विधानसभा सीटों पर छिड़ी चुनावी जंग में भाजपा डबल इंजन के काम और मोदी और राम के नाम पर प्रचार करती दिखी। लेकिन वह अटल आयुष्मान योजना, महिलाओं को भूमिधरी का अधिकार, गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन को राजधानी बनाने के विषय को जनता के बीच प्रभावी ढंग से नहीं उठा पाई।

भाजपा नेताओं द्वारा चुनाव को धार्मिक रूप देने का भरसक प्रयास किया। भाजपा नेताओं और प्रत्याशियों का चुनाव प्रचार श्री राम के नारों तक ही सीमित नहीं रहा बल्कि हर विषय को धार्मिक लिबास पहनाने का भाजपा की ओर से भरसक प्रयास किया गया। भाजपा द्वारा कांग्रेस की और से जुमे की अल्पकालिक छुट्टी, मुस्लिम यूनिवर्सिटी को मुद्दा बनाया और अंत में हिजाब विवाद को प्रचार में उतारकर सियासत गरमाने की पूरी कोशिश की।

भाजपा के स्टार प्रचारक सीएम शिवराज सिंह चौहान द्वारा उत्तराखंड में प्रचार के दौरान राहुल, प्रियंका, बाड्रा, सोनिया कांग्रेसियों के चार धाम तक होने की बात कहीं। वहीं शनिवार को चुनाव प्रचार थमने से पहले मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने समान नागरिक संहिता लागू करने का दांव भी चल दिया। सैन्य बहुल राज्य में भाजपा स्टार प्रचारकों ने सीडीएस जनरल बिपिन रावत पर सियासी फायदे लेने का भी प्रयास किया।

भाजपा नेता प्रचार के दौरान चुनाव को धार्मिक रूप देने के अलावा कांग्रेस और गांधी परिवार को कोसते नजर आये। भाजपा नेता महंगाई, भ्रष्टाचार, और बेरोजगारी जैसे मुद्दों से बचते नजर आए। पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा की ओर से सत्ता में आने पर 100 दिन के अंदर लोकायुक्त की नियुक्ति करने के मुद्दे को भी शांत बस्ते में डाल दिया गया।

नेता यह नहीं समझा सके कि उत्तराखंड के चुनाव में हिजाब विवाद के विषय पर प्रचार उत्तराखंड को किस प्रकार से फायदा पहुंचाता है। स्टार प्रचारक सीएम शिवराज सिंह चौहान करीब 2000 किलोमीटर की दूरी तय करके उत्तराखंड में प्रचार के दौरान यह बताने आए कि कांग्रेसियों के राहुल, प्रियंका, वाड्रा, और सोनिया चार धाम है।

उत्तराखंड पुलिस के जवानों की 4600 ग्रेड पे की मांग को पूरा न कर पाने वाले नेता सीडीएस जनरल बिपिन रावत का नाम लेकर चुनाव प्रचार करते नजर आये। इस तरह के प्रचार को हिंदू बहुल राज्य में धार्मिक ध्रुवीकरण की सियासत के तौर पर ही देखा जा सकता है।

वहीं कांग्रेस का प्रचार महंगाई, बेरोजगारी, भ्रष्टाचार और खनन के मुद्दों पर केंद्रित रहा। चारधाम चार काम के नारे के साथ उसने तीन मुख्यमंत्री बदलने को लेकर तीन तिगाड़ा काम बिगाड़ा के नारे से भाजपा को असहज करने की कोशिश की। कांग्रेस ने सत्ता में आने पर दुपहिया वाहनों को पूरे प्रदेश में फ्री पार्किंग की घोषणा की। कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में लोकायुक्त नियुक्ति के मुद्दे को भी स्थान दिया है।