उत्तराखंड : भाजपा के चार साल बेमिसाल का नारा, देने वाले पूर्व सीएम त्रिवेंद्र रावत का चुनाव लड़ने से इंकार, अध्यक्ष जेपी नड्डा को लिखा पत्र वायरल।
मीडिया ग्रुप, 19 जनवरी, 2022
देहरादून। उत्तराखंड की सियासत में आज फिर हड़कंप मच गया है। बता दें कि पूर्व सीएम त्रिवेंद्र रावत ने राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को पत्र लिखा है कि चुनाव ना लड़ने की बात कही है। अब इसके पीछे क्या वजह है चुनाव नहीं लड़ने की साफ नहीं है।
सोशल मीडिया पर पूर्व सीएम त्रिवेंद्र के लेटर हैड पर राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को संबोधित करते हुए पत्र वायरल हो रहा है। डोईवाला से विधायक त्रिवेंद्र रावत ने राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को पत्र लिखकर चुनाव लड़ने से इंकार किया है।
पूर्व सीएम त्रिवेंद्र रावत ने लिखा कि मुझे भाजपा ने उत्तराखंड में मुख्यमंत्री के रुप में सेवा करने का मौका दिया, ये मेरे लिए परम सौभाग्य था। मैनें भी कोशिश की कि पवित्रता के साथ राज्यवासियों की सेवा करुं। उन्होंने लिखा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भरपूर सहयोग मिला है। राज्य का जो आशीर्वाद मिला उसका दिल की गहराईयों से धन्यवाद करना चाहता हूं। उत्तराखंड वासियों व डोईवाला वासियों का ऋण चुकाया नहीं जा सकता।
माननीय अध्यक्ष से अनुरोध करना चाहता हूं कि राज्य में नेतृत्व परिवर्तन हुआ है, युवा नेतृत्व सीएम पुष्कर सिंह धामी के रूप में मिला है। बदली राजनीतिक परिस्थितियो पर मुझे 2022 का चुनाव नहीं लड़ना चाहिये। मै अपनी भावनाओं से पूर्व में ही अवगत करा चुका हूं।
मै भाजपा का कार्यकर्ता हूं। मैंने राष्ट्रीय सचिव झारखंड प्रभारी, उत्तर प्रदेश में 2014 के लोकसभा चुनाव में प्रदेश सह प्रभारी की जिम्मेदारी निभाई। मैंने महाराष्ट्र, पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, चंडीगढ़, हिमाचल प्रदेश में चुनाव अभियानों का काम किया है।
वर्तमान में उत्तराखंड राज्य में चुनाव हो रहा। श्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में पुनः सरकार बने। उसके लिये पूरा समय लगाना चाहता हूं। अत्ः आपसे पूनः अनुरोध करना चाहता हूं कि मेरे चुनाव न लड़ने के निर्णय के अनुरोध को स्वीकार करें। ताकि मै अपना सम्पूर्ण प्रयास सरकार बनाने के लिये लगा सकूं।
पूर्व सीएम त्रिवेंद्र रावत के इस्तीफे के बाद खबरें आई थी कि त्रिवेंद्र रावत को केंद्र में कोई अहम जिम्मेदारी और बड़ा पद मिल सकता है। इधर सोशल मीडिया पर भी पूर्व सीएम त्रिवेंद्र के चुनाव से दूर रहने को लेकर तरह तरह की चर्चाओं का दौर तेज हो गया है।
पूर्व कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत की बर्खस्ती के बाद राजनीतिक समीकरण बदलने की संभावना बढ़ गई है। जबकि त्रिवेंद्र के इंकार पर चार साल बेमिसाल का नारा देने वाली भाजपा को बड़ा झटका लग सकता है।