उत्तराखंड। हाईकोर्ट ने चमोली की जिला पंचायत अध्यक्ष रजनी भंडारी को हटाने के शासन के 10 जनवरी 2024 के आदेश पर रोक लगा दी है। यह दूसरी बार है, जब रजनी भंडारी को कोर्ट से अभयदान मिला है। इससे पहले उत्तराखंड सरकार ने रजनी भंडारी को 25 जनवरी 2023 को बर्खास्त किया था।
तब नैनीताल हाईकोर्ट ने उन्हें बर्खास्त करने के सरकार के आदेश को निरस्त कर दिया था। इसी क्रम में वह बहाल हो गईं थी। साथ ही न्यायालय ने तब सरकार को पंचायती राज नियमावली का उचित अनुपालन करने के निर्देश जारी किए थे।
रजनी भंडारी बदरीनाथ सीट से कांग्रेस विधायक व पूर्व मंत्री राजेंद्र सिंह भंडारी की पत्नी हैं। उन पर वर्ष 2012-13 में नंदा राजजात यात्रा के तहत कराए गए कार्यों में अनियमितता का आरोप है।
इसी क्रम में कराई गई जांच के बाद उत्तरखंड शासन ने रजनी भंडारी को 10 जनवरी 2024 को पद से हटा दिया था। साथ ही जिला पंचायत अध्यक्ष की जिम्मेदारी उपाध्यक्ष लक्ष्मण रावत को दे दी गई थी। उत्तराखंड शासन के आदेश को रजनी भंडारी ने हाई कोर्ट में चुनौती दी थी।
बुधवार को न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की कोर्ट में याचिका पर सुनवाई की गई। याची रजनी भंडारी की ओर से पैरवी करते हुए सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता देवदत्त कामत और हाई कोर्ट के अधिवक्ता विकास बहुगुणा ने दलीलें रखीं। उन्होंने कहा कि नियमों के मुताबिक आरोपों की जांच जिलाधिकारी चमोली को स्वयं करनी चाहिए थी।
उन्होंने जांच मुख्य विकास अधिकारी (सीडीओ) को सौंप दी। सीडीओ ने भी प्रकरण में कमेटी गठित कर दी। नियमानुसार ऐसा नहीं किया जा सकता, लिहाजा शासन के आदेश को निरस्त किया जाना चाहिए।
न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की पीठ ने सभी पहलुओं पर गौर करने के बाद रजनी भंडारी को हटाने के शासन के आदेश को स्थगित कर दिया। प्रकरण में सरकार से जवाब मांगा गया है।
इस मामले में 27 फरवरी की तारीख तय की गई है। कोर्ट से मिली अंतरिम राहत पर रजनी भंडारी ने खुशी व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार ने उनके विरुद्ध द्वेषपूर्ण कार्रवाई की है। उन्होंने किसी तरह की वित्तीय अनियमितता नहीं की है।