रुद्रपुर। वर्ष 2020 में कोविड काल के दौरान जहां तमाम लोग बेरोजगार होने के बाद रोजगार की तलाश कर रहे थे। वहीं 35 लाख ठगी का मुख्य आरोपी रविकांत साइबर अपराध की दुनिया में अपनी दस्तक दे चुका था। बीटेक करने के बाद वह नोएडा की एक कंपनी में नौकरी करता था। मगर कम समय में ज्यादा पैसा कमाने की चाह ने बीटेक करने वाला आरोपी ने साइबर अपराध को अपना धंधा बना लिया।
कुमाऊं के साइबर क्राइम थाना प्रभारी ललित मोहन जोशी ने बताया कि पूछताछ के दौरान मुख्य आरोपी रविकांत ने बताया कि वर्ष 2014 में उसने बीटेक किया और वर्ष 2015 से 2020 तक नोएडा की एक्सेल कंपनी में आठ से 18 हजार तक की नौकरी की। मगर कोविड काल आने के बाद कंपनी ने कर्मचारियों की छटनी शुरू की। बाद में कुछ दिन नौकरी की तलाश की। मगर जब मन माफिक नौकरी नहीं मिली तो उसने साइबर अपराध की दुनिया में कदम रखा और अलग-अलग तरीकों से लोगों को कॉल कर ठगी करने लगा।
पिछले तीन सालों से वह लगातार अधिकारी बनकर या फिर ज्यादा मुनाफा कमाने का प्रलोभन देकर ठगने लगा और कई लोगों के साथ धोखाधड़ी करने के बाद काफी पैसा कमाने लगा। पूछताछ में आरोपी ने संयुक्त टीम को कई अहम जानकारियां भी मुहैया कराई। जिसके बाद एसटीएफ और साइबर की टीम ने आरोपी से पूछे सवालों के बाद ठगी के ओर खुलासे करने की दिशा में काम शुरू कर दिया है।
35 लाख की धोखाधड़ी के मुख्य आरोपी की गिरफ्तारी के बाद एसटीएफ ने बताया कि आरोपी भारतीय रिजर्व बैंक का फर्जी कर्मचारी बनकर, रिलायंस पॉलिसी की धनराशि आरबीआई में फंसने, टीडीएस रुपयों को जमा कर मुनाफा देने, पीड़ितों की पॉलिसी पर ज्यादा मुनाफा देने का झांसा देकर ठगी को अंजाम देता था।
शिकार को अलग-अलग नंबरों से फोन कर अपने जाल में फंसाता और कम धनराशि होने पर उस पर मुनाफा देकर वापस लौटता था। मगर जैसे ही मोटी धनराशि खाते में आती तो आरोपी ऑनलाइन पैसा निकाल लेता था।