रूद्रपुर। भाजपा किच्छा मण्डल प्रभारी एवं पूर्व पार्षद ललित मिगलानी ने 22 जनवरी को अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के दिन को दिव्य स्वप्न की पूर्ति का दिन बताते हुए सभी को इस ऐतिहासिक क्षणों के लिए अग्रिम बधाई दी है और 22 जनवरी के दिन को यादगार बनाने के लिए घर-घर में दीपोत्सव मनाने का आहवान किया है।
जारी बयान में भाजपा नेता मिगलानी ने कहा कि सदियों के बाद श्री राम मंदिर का निर्माण हर हिंदू के लिए गौरव का पल है। पांच सौ साल के संघर्ष के बाद राम मंदिर निर्माण ने भारतीयों के टूटे हुए मनोबल को फिर से नई उर्जा देने का काम किया है। श्री मिगलानी ने कहा भगवान राम भारत की आत्मा के प्रतीक हैं। श्री राम मानवीय गुणों के प्रतीक हैं।
इसीलिए उन्हें ‘मर्यादा पुरुषोत्तम’ कहा जाता है। वे भारतीयों की उच्च मूल्यों का जीवन जीने की आकांक्षा के एक आदर्श हैं। राम मंदिर सिर्फ एक मंदिर नहीं बल्कि सनातनी परंपराओं की एक धरोहर है। श्रीराम हिंदुओं के लिए पूजनीय पवित्र धार्मिक विभूति तो हैं ही साथ ही वे भारत की सांस्कृतिक विरासत और राष्ट्रीय पहचान के भी एक प्रमुख प्रतीक हैं।
इसीलिए पिछले लगभग 500 वर्षों से करोड़ों भारतीयों की हार्दिक इच्छा रही है कि अयोध्या में श्री राम मंदिर का पुनर्निर्माण हो। अयोध्या में श्रीराम की जन्मभूमि पर मंदिर के पुनर्निर्माण के लिए किया गया ‘रामजन्मभूमि आंदोलन’ 1947 के बाद के भारत के इतिहास में सबसे बड़ा निर्णायक आंदोलन रहा है।
राम जन्मभूमि पर श्रीराम का भव्य मंदिर बनाना भारतीय जनता पार्टी की प्रबल इच्छा और दृढ़ संकल्प रहा है। इससे पहले हमेशा भारत की सनातनी परंपराओं को कुचलने की कोशिश होती रही हैं। मुगल आक्रांताओं और अंग्रेजों ने देश के मंदिरों को और हिंदू धर्म की जडों को मिटाने का ही काम किया है।
भाजपा से पहले दशकों तक राज करने वाली पार्टी ने भी हिंदुओं को उनका खोया हुआ सम्मान लौटाने की कभी कोशिश नहीं की। आखिरकार देश के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व की सरकार के प्रयासों से नवंबर 2019 में सुप्रीम कोर्ट के निर्णायक फैसले के कारण श्रीराम मंदिर के पुनर्निर्माण का पथ शांति के वातावरण में प्रशस्त हुआ। भाजपा सरकार ने राम मंदिर का निर्माण कराकर अपना पुराना वादा ‘मंदिर वहीं बनायेंगे’ को पूरा करके दिखाया है।
आज राम मंदिर के नाम पर विरोध की राजनीति करने वालों को यह सोचना चाहिए कि वास्तव में यहां पर मंदिर ही था लंबे संघर्ष के बाद यह विवादित मसला कोर्ट के हस्तक्षेप से ही हल हुआ है। कोर्ट में हर व्यक्ति को अपनी बात रखने का अधिकार है। श्री राम के मंदिर का निर्माण हमारे लिए आस्था और स्वाभिमान का विषय है न कि राजनीति का कोई विषय है, अगर यह किसी के लिए राजनीति का विषय है तो ये विपक्षी दलों के लिए है।
राम मंदिर के निर्माण का विरोध करने वाले विपक्षी दलों के लोगों को इस देश के नागरिकों की भावनाओं को समझते हुए इस मुद्दे पर राजनीति बंद करनी चाहिए। विपक्ष ने राम मंदिर का न केवल विरोध किया बल्कि भगवान राम के अस्तित्व पर ही सवाल उठाया है। ये तो केवल प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी और राम भक्तों के प्रयासों का परिणाम है कि आज अयोध्या में राम जन्म स्थान पर भव्य मंदिर बनाया जा रहा है।
वास्तव भगवान राम के जन्मस्थान पर तो देश की आजादी के बाद ही निर्माण शुरू हो जाना चाहिए था। बिलकुल वैसे ही, जैसे सरदार वल्लभभाई पटेल के आदेश पर सोमनाथ मंदिर का पुनर्निर्माण किया गया था। आजादी के समय प्रधान मंत्री जवाहरलाल नेहरू ने भगवान राम मंदिर के निर्माण को अवरुद्ध कर दिया था। उन्होंने राम मंदिर को लेकर लोगों का ध्यान भटकाया और इसे स्थगित कर दिया। नेहरू ने तो भगवान राम के अस्तित्व को ही चुनौती थी।
श्री मिगलानी ने कहा कि राम मंदिर राजनैतिक मुद्दा नहीं बल्कि देश की अस्मिता से जुड़ा मुद्दा है, यह सिर्फ एक मंदिर की बात नहीं बल्कि एक ऐतिहासिक गलती को ठीक करने के लिए उठाया गया सबसे बड़ा कदम है। यह करोड़ों हिंदुओं की आस्था का प्रतीक है जो आने वाले समय में देश को नई ताकत देगा। अयोध्या का भव्य श्री राम मंदिर हमारा राष्ट्र मंदिर साबित होगा।
दुनिया भर में जो संस्कृति पिछले वर्षों में धूमिल हो रही थी, यह मंदिर फिर से एक संदेश देगा जो हमारी संस्कृति को मजबूत करेगा। यह एक विरासत है जो पूरी दुनिया के लिए प्रेरणा का स्रोत बनेगा। यह हमारी आस्था का केंद्र है, यह हमारा गौरव है और यह मंदिर भविष्य में भारत की नई पहचान बनेगा। इस मंदिर की स्थापना से पूरी दुनिया को हमारी संस्कृति और हमारी नैतिकता को अपनाने की प्रेरणा भी मिलेगी। श्री राम मंदिर भारत को ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया को मानव की उच्च गुणों से सर्वोत्तम गुणो को विकसित करने की प्रेरणा देगा।