मीडिया ग्रुप, 09 अक्टूबर, 2022
इंडस्ट्री का हब कहे जाने वाले उधमसिंह नगर में हर नुक्कड़ पर फैक्ट्रियों का जाल फैल चुका है जिसकी चपेट में अब पर्यावरण और आम लोगो की जिंदगी है।
जिसमे चलते उधमसिंह नगर के कुछ गांव काला पीलिया के रोगी बनते जा रहे हैं , इसका मुख्य कारण फैक्ट्रियों द्वारा भूमि कई सौ फीट गहरे बोर द्वारा छोड़े जाने वाला प्रदूषित पानी है।
इसी के साथ त्वचा संबंधी रोगों से भी आम लोग पीड़ित हो रहे है। किंतु प्रदूषण फैलाने का दोष केवल किसानों के ऊपर आता है जब वे खेतों में बचे हुए फसल के अपशिष्ट पराली जलाते हैं।
ऐसे में इस बात को जमकर प्रचारित भी किया जाता है की दूषित वातावरण के जिम्मेदार पराली जलाने वाले किसान है जबकि सच सब जानते है लेकिन प्रशासन फैक्ट्री मालिको के सामने मजबूर है और पूंजी पति स्वयं फैक्ट्रियों के मालिक हैं फिर कौन प्रदूषण के विरुद्ध आवाज बुलंद करेगा ?
ऐसे में मजबूर और लाचार किसानों पर एक तरफा प्रदूषण का आरोप रख दिया जाता है , प्रदूषित जल के कारण काला पीलिया से पीड़ित लोग अपनी संपत्तियां बेचकर काले पीलिया के महंगे से महंगे टिके और दवाई खा कर स्वयं का इलाज करवा रहे हैं।