अमृतसर स्वर्ण मंदिर में लाखों श्रद्धालुओं के लिए लंगर होता है तैयार। ।

मीडिया ग्रुप, 08 सितंबर, 2022

घूमने का शौक रखने वालों को पंजाब की खूबसूरती को एक बार जरूर एक्सप्लोर करना चाहिए। पंजाब में कई सारी ऐसी जगहें हैं जो पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करती हैं। पंजाब भारत की प्राकृतिक सुंदरता, धार्मिक और आध्यात्मिकता को प्रदर्शित करता है।

लहराते हरे भरे खेत, ट्यूबवेल से गिरता झलझल पानी और स्वर्ण मंदिर। पंजाब का नाम आते ही सबसे पहले लोगों के मन में ये छवि ही नजर आती होगी। लेकिन पंजाब में इसके अलावा भी देखने के लिए बहुत कुछ है।

पंजाब के मुख्य शहरों में से एक अमृतसर में आपको स्वर्ण मंदिर के साथ ही देशभक्ति से सराबोर कर देने वाला वाघा बॉर्डर, जलियांवाला बाग, अकाल तख्त जैसी जगहें भी घूमने को मिल सकती हैं। स्वर्ण मंदिर का इतिहास लगभग 400 साल पुराना है। स्वर्ण मंदिर असली सोने से बना हुआ है। यहां आकर मन को शांति तो मिलती है।

जाति, वर्ग, लिंग और धर्म के दायरे से ऊपर उठकर समता की मिसाल देखनी हो तो अमृतसर के हरमंदिर साहिब का लंगर वाकई दुनिया में एक अनूठा उदाहरण होगा। दुनिया में सबसे बड़ी कम्‍युनिटी किचन यानी कि सामुदायिक रसोई के तौर पर अमृतसर के स्वर्ण मंदिर (Golden Temple) स्थित गुरु रामदासजी लंगर भवन कई मायने में बेमिसाल है।

आमतौर पर यहां एक लाख लोगों का भोजन तैयार होता है और सभी धर्मो, जातियों, क्षेत्रों, देशों सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक वर्ग के लोग यहां भोजन करते हैं, जिनमें बच्चों से लेकर बूढ़े शामिल होते हैं।

यहां पूरे साल अहर्निश यानी दिन-रात चौबीसों घंटे लंगर जारी रहता है। यह परंपरा सदियों से चली आ रही है। लंगर की शुरुआत सिख धर्म के प्रवर्तक गुरु नानक देव ने की थी. नानक देव ही सिख धर्म के प्रथम गुरु थे। उनके बाद के गुरुओं ने लंगर की पंरपरा को आगे बढ़ाया। नानक देव का जन्म 1469 ईसवी में ननकाना (पाकिस्तान) में हुआ था।

दिन हो या रात यहां हर समय श्रद्धालुओं का जमघट लगा रहता है, जो स्वेच्छा से लंगर में सेवा करने को तत्पर रहते हैं। यहां सेवा कार्य को गुरू का आशीर्वाद समझा जाता है। लंगर में हाथ बंटाने को सैकड़ों स्वयंसेवी तैयार रहते हैं।