उधमसिंह नगर : रुद्रपुर में श्रद्धापूर्वक मनाया गया गुरु अर्जुन देव जी का शहीदी दिवस, लंगर व छब्बील का आयोजन।

मीडिया ग्रुप, 16 जून, 2022

सिमरप्रीत सिंह नारंग, एडिटर · मीडिया ग्रुप

रुद्रपुर। सिखों के पांचवें गुरु गुरु अर्जन देव जी का शहीदी दिवस आवास विकास स्थित गुरुद्वारा श्री गुरु सिंह सभा में श्रद्धापूर्वक मनाया गया। पिछले माह से चल रहे पाठ का समापन हुआ। मौके पर स्थानीय रागी जत्था द्वारा भजन-कीर्तन प्रस्तुत किया गया। इस दौरान सिख समाज के लोगों ने श्री गुरु अर्जन साहिब जी की शहादत को याद किया।

इस संबंध में गुरुद्वारा गुरू सिंह सभा के प्रधान ने कहा कि गुरु अर्जन देवी जी को सिखों का सिरताज कहा जाता है। उन्होंने बताया कि 1606 ई को मुगल शासक जहांगीर ने गुरु अर्जन देव जी की बढ़ती लोकप्रियता व प्रचार से सिखों के खालसा पंथ का तेजी से विस्तार देख जहांगीर सहन न कर सका। जिसके कारण उसने भीषण गर्मी के दौरान याशा व सियासत कानून के तहत लोहे की गर्म तवे पर बैठाकर श्री गुरु अर्जन देव जी को शहीद करने का हुक्म सुनाया।

गुरुद्वारा में बलविंदर सिंह ने कहा कि शहीदी के दौरान गुरुजी को मई–जून की भीषण गर्मी में तपते तवे पर बैठाकर उनके शीश पर गर्म-गर्म रेत डाली गई, जिसके कारण उनका पूरा शरीर जल गया। उसके बाद गुरुजी को ठंडे पानी वाली रावी दरिया में नहाने के लिए भेजा गया जहां गुरुजी का पावन शरीर रावी में आलोक हो गया। जहां गुरुजी की ज्योति ज्योत समाया, उसी स्थान पर लाहौर में रावी नदी के किनारे गुरुद्वारा डेरा साहेब का निर्माण कराया गया, जो अब पाकिस्तान में है।

संगत ने कहा कि जुल्मी बादशाह जिसकी आन दांव पर थी जो पूरे हिंदुस्तान का धर्म परिवर्तन करना चाहता था। दूसरी तरफ गुरु अर्जुन देव जी जिनकी एक हां पर पूरे हिंदुस्तान की कहानी बदल सकती थी। मगर उन्होंने शहादत स्वीकार की लेकिन धर्म परिवर्तन नहीं। गुरु अर्जुन देव ने अनेक यातनाएं सहीं।

उन्होंने कहा की गुरु अर्जन देव जी ने मई–जून की गर्मी मे गर्म तवे पर बैठकर शहीद होना स्वीकार किया। गर्म रेत उनके ऊपर डाली गई पर उन्होंने अपने सिद्धांतो से समझौता नहीं किया। देश व धर्म की रक्षा की और शांति पुंज बनकर धैर्य का परिचय दिया।

संगत ने यह भी कहा कि हिंदू धर्म की रक्षा के लिए गुरु अर्जुन देव ने शहादत दी। वे हंसते-हंसते शहीद हो गए लेकिन उन्होंने मुगलों के धर्म परिवर्तन की बात का स्वीकार नहीं किया।

इस दौरान गुरबाज सिंह एडवोकेट, ब्रिजेंद्र सिंह, बलविंदर सिंह, सिमरप्रीत सिंह, कर्मवीर सिंह, प्रतिपाल सिंह, अवतार सिंह, बाबा हरनाम सिंह, बाबा रेशम सिंह, बाबा बचान सिंह, बाबा सोहन सिंह, भूपिंदर सिंह लंबा, राजेंद्र सिंह, भजन सिंह, श्रद्धा सिंह, मंजीत सिंह, कुलजीत सिंह, गुरदीप सिंह, हरबंश सिंह, दिवेंदर सिंह, साहिब सिंह, हरपाल सिंह, तरनदीप सिंह, अगम अग्रवाल, तेजवीर सिंह नारंग, कवलप्रीत कौर, इशनीत सिंह, आनंद सिंह, परविंदर सिंह, नवजोत सिंह, रणवीर सिंह, चानन सिंह, दलजीत सिंह, गुरप्रीत सिंह, गुरविंदर सिंह, प्रिंस, लवीश, सलविंदर सिंह, जगनीत सिंह, आदि उपस्थित रहे।