मीडिया ग्रुप, 02 अप्रैल, 2022
साइकोलॉजी की भाषा में नर्वस ब्रेकडाउन कोई बीमारी या शब्द नहीं है लेकिन आमतौर पर जब भी किसी मरीज को एक्यूट स्ट्रेस या गहरे अवसाद की स्थिति में देखते हैं तो नर्वस ब्रेकडाउन बोल दिया जाता है।
आज के समय में जीवन के हर क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा है। आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में तनाव और चिंता का स्तर बढ़ता ही जा रहा है। आज के समय में जीवन के हर क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा है। जिसकी वजह से कभी आर्थिक, तो कभी सामाजिक और मानसिक स्थिति के कारण व्यक्ति जरूरत से ज्यादा प्रेशर लेने लगता है। ऐसे में कई बार व्यक्ति की मनोदशा बदल जाती है, जिसे नर्वस ब्रेकडाउन कहते हैं।
इस स्थिति में व्यक्ति अपना मानसिक संतुलन खो देता है। ऐसे में इसके लक्षणों को पहचान करके समय पर इलाज करवाना बहुत जरूरी है ताकि गंभीर परिस्थितियों से बचा जा सके।
नर्वस ब्रेकडाउन के लक्षण
मूड में बदलाव होना
पैनिक अटैक
मन में नेगेटिव सोच आना
रात में नींद ना आना
गंभीर अवसाद
मन ना लगना
किसी काम पर फोकस ना कर पाना
अकेले होने पर रोना
घबराहट और बेचैनी
नर्वस ब्रेकडाउन से बचाव के उपाय
जब व्यक्ति किसी चिंता और तनाव के कारण लंबे समय तक दुःख या अवसाद की स्थिति में रहता है तो कुछ समय बाद उसका मानसिक संतुलन बिगड़ने लगता है। इसके कारण धीरे धीरे उसका नर्वस ब्रेकडाउन होने लगता है।
अक्सर लोग भविष्य को लेकर अत्यधिक चिंता और तनाव में रहते है। ऐसा करने से उनमें चिड़चिड़ापन आने लगता है और उनकी मनोदशा बदलने लगती है। इससे बचने के लिए भविष्य की चिंता ना करें और अपने वर्तमान को बेहतर बनाने का प्रयास करें। ऐसा करने से आप नर्वस ब्रेकडाउन से बच सकते हैं।
नर्वस ब्रेकडाउन के लक्षण दिखने पर मनोचिकित्सक से संपर्क करें। डॉक्टर्स के मुताबिक खानपान और जीवनशैली में बदलाव करके इस समस्या से बचा जा सकता है। इसके लिए पौष्टिक आहार लें और योग व्यायाम करें। अपने शारीरिक स्वास्थ्य के साफ अपने मानसिक स्वास्थ्य का भी ध्यान रखें।