पंजाब में विभाजनकारी मंसूबों को बढ़ावा देने के लिए बीजेपी को मिले दो नए सहयोगी: सीएम चन्नी

मीडिया ग्रुप, 06 दिसंबर, 2021

विधानसभा चुनाव नजदीक आते ही राजनैतिक दलों और नेताओं में जुबानी जंग तेज हो गई है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के बयान पर रविवार को मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने तीखी प्रतिक्रिया दी है।

मुख्यमंत्री ने कहा है कि इस बार भाजपा पंजाब को बांटने के लिए शिअद के स्थान पर कैप्टन और ढींढसा का सहारा लेगी लेकिन इस बार भी 2019 की तरह पंजाब के लोग ऐसी विभाजनकारी पार्टी के मंसूबों को नाकाम कर देंगे।

पंजाब के मुख्यमंत्री ने कहा कि भाजपा ने अपने किसान विरोधी एजेंडे में अकाली दल का प्रयोग तीन कृषि कानूनों को लागू करने में किया। धर्मनिरपेक्ष किसान संघर्ष ने मोदी को इन्हें रद्द करने पर मजबूर कर दिया। शिरोमणि अकाली दल ने इन कानूनों का समर्थन किया था। अब कैप्टन अमरिंदर सिंह भाजपा के नापाक जनविरोधी मंसूबों को लागू करने के लिए पक्के एजेंट के तौर पर काम कर रहे हैं।

चन्नी ने कहा कि अकाली दल ने दशकों से संघीय ढांचे के हिमायती होने के बावजूद भाजपा की केंद्रीकरण और सांस्कृतिक समरूपता की नीतियों को पूरा समर्थन दिया। पंजाब के हित पहले अकाली दल की तरफ से प्रकाश सिंह बादल के नेतृत्व में भाजपा के पास गिरवी रखे गए, जिन्होंने 1996 में भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार, जो सिर्फ 13 दिन चली थी, बनाने के लिए अटल बिहारी वाजपेयी को बिना शर्त समर्थन देकर इस गठजोड़ के लिए रास्ता साफ किया था। बादल ने बिना शर्त समर्थन देकर पंजाब और पंजाबियों के साथ धोखा किया था। इस तरह कर बादल ने पंजाब का सौदा ही किया था।

मुख्यमंत्री ने कहा कि इससे पहले भाजपा की मूल संस्था आरएसएस की मदद करने और इसके पंजाब में पैर पसारने के लिए अकाली दल भाजपा के वाहन के तौर पर काम करता रहा। आरएसएस ने सिख इतिहास और विचारधारा को भी बिगाड़ने की कोशिश की और इस संस्था की तरफ से एक दशक पहले छापा गया साहित्य इसके उसी एजेंडे का सबूत है। अकाली दल ने कभी इसका विरोध नहीं किया।

कैप्टन अमरिंदर सिंह पर हमला करते हुए मुख्यमंत्री चन्नी ने कहा कि कैप्टन पहले भी भाजपा के थे। वह मुख्यमंत्री होते हुए अहम मुद्दों पर मोदी सरकार का बचाव करने और जनविरोधी एजेंडे को आगे बढ़ाने में पूरी तरह सक्रिय रहे।

अब इस द्वेषपूर्ण भूमिका को निभाने के लिए पूरी तरह तैयार हैं। उन्होंने कहा कि कैप्टन की अब तक भाजपा की हर तरह से मदद करने में निभाई गई भूमिका को देखकर कोई हैरानी नहीं है कि वह भाजपा के सहयोगी के तौर पर शिरोमणि अकाली दल का विकल्प बनेंगे।