नैनीताल हाई कोर्ट की शिफ्टिंग को लेकर हाई कोर्ट के आदेश पर ‘सुप्रीम’ रोक, प्रतिवादियों से मांगा जवाबी हलफनामा
नैनीताल। उत्तराखंड हाईकोर्ट को नैनीताल से अन्यत्र शिफ्ट करने के सम्बंध में हाईकोर्ट के आठ मई के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगाते हुए राज्य सरकार को नोटिस जारी किया है। इस मामले की सुनवाई अब ग्रीष्मकालीन अवकाश के बाद होगी। मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति बीएस नरसिम्हा और न्यायमूर्ति संजय करोल की अवकाश कालीन खनपीठ में हुई ।
उत्तराखंड हाईकोर्ट की मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रितु बाहरी व न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ ने अधिवक्ताओं और वादकारियों के हित को आधार बताकर आठ मई को एक आदेश जारी कर नैनीताल से हाईकोर्ट शिफ्ट करने के लिए एक माह के भीतर जगह तलाशने के निर्देश मुख्य सचिव को दिए थे। हाईकोर्ट ने अपने आदेश में रजिस्ट्रार जनरल हाईकोर्ट को निर्देश दिया था कि वे 14 मई तक एक पोर्टल बनाकर उसमें हाईकोर्ट शिफ्ट करने के पक्ष और विपक्ष में अधिवक्ताओं की राय लें। इसके अलावा भी हाईकोर्ट ने कई दिशा निर्देश दिए थे। इस आदेश को हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने बार के सचिव सौरभ अधिकारी के माध्यम से एसएलपी दायर कर सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी और इस आदेश को हाईकोर्ट के अधिकार क्षेत्र से बाहर बताया।
एसएलपी में संघ सूची की प्रविष्टि-78 के का उल्लेख करते हुए बताया गया कि हाईकोर्ट संघ सूची का मामला है। इस मामले में न तो राज्य और न ही उच्च न्यायालय के पास उच्च न्यायालय के स्थानांतरण के बारे में निर्णय लेने का अधिकार है।
उप्र राज्य पुनर्गठन विधेयक 2000 की धारा 26 के अनुसार यह एक केंद्रीय विधेयक है, जिसे संशोधित अथवा बदलने का अधिकार केवल राष्ट्रपति के पास है। इस क्षेत्राधिकार संबंधी मुद्दों को देखते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी है। हाईकोर्ट बार एसोसिएशन की ओर से पैरवी के लिये सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता पीबी सुरेश, वरिष्ठ अधिवक्ता विपिन नायर, अधिवक्ता बी. विनोद खन्ना, डॉ. कार्तिकेय हरि गुप्ता, हाईकोर्ट बार एसोसिएशन अध्यक्ष डीसीएस रावत, महासचिव सौरभ बहुगुणा, पल्लवी बहुगुणा, बीडी पांडे, कार्तिक जयशंकर, सीएस जोशी, रफत मुनीर अली, इरूम जेबा, विकास गुगलानी, योगेश पचोलिया, शगुफा खान, मीनाक्षी जोशी, राज्य सरकार की ओर से सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता, नैनीताल से हाईकोर्ट ऋषिकेश अथवा हरिद्वार शिफ्ट करने के पक्षधर देहरादून बार एसोसिएशन के वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ लूथरा ने पैरवी की।