भारत में होली का त्योहार धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन लोग आपसी बैर भुलाकर एक दूसरे को लगा लगाते हैं। होल के दिन लोग एक दूसरे को रंग और अबीर लगाते हैं। देश के अलग-अलग राज्यों में होली का त्योहार अलग-अलग तरीके से मनाया जाता है। लेकिन भारत में एक ऐसी जगह, जहां पर रंग से नहीं, बल्कि लोग गोली-बारूद से होली खेलते हैं। यह परंपरा चार सौ सालों से चलती आ रही है, जिसे जमराबीज कहा जाता है।
राजस्थान के उदयपुर में स्थित मेनार गांव में होली रंगों से नहीं खेली जाती है। यहां पर लोग बारूद से होली खेलते हैं। इसके साथ ही खुलेआम लोग बंदुक से गोलियां दागते हैं। आइए बताते हैं कि होली के दिन लोग रंग की जगह बारूद और गोलियों से होली क्यों खेलते हैं?
होली के दिन गांव में पांच मोहल्ले के लोग मेवाड़ी वेशभूषा में इकट्ठा होते हैं। इन लोगों के पास तलवार, हथियार होते हैं। इसके बाद डांस करते हैं और पटाखे जलाए जाते हैं।
जमराबीज चार सौ साल से मनाई जा रही है। कहा जा रहा है कि मेनारिया ब्राह्मणों ने जब मुगलों को गांव से भगा दिया था, तो उसके बाद से ही इस दिन बारूद से होली खेलने की पंरपरा की शुरुआत हुई। देर रात यह कार्यक्रम शुरू होता है और अगले दिन सुबह तक चलता है।
युद्ध में ब्राह्मणों ने कई मुगल सैनिकों को मार डाला था। इसके साथ ही खुद शहीद भी हो गए थे, लेकिन ब्राह्मणों की जीत हुई थी। इसके बाद से ही बारूद की होली खेली जाती है।