मीडिया ग्रुप, 25 मार्च, 2022
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का जन्म 5 जून 1972 को पंचूर गांव, पौढी गढवाल, उत्तराखंड में एक राजपूत परिवार में हुआ था। इनके पिता का नाम आनंद सिंह बिष्ट और माता का नाम सावित्री देवी है।
सीएम योगी ने 1989 में ऋषिकेश के भरत मंदिर इंटर कॉलेज से 12वीं पास की और 1992 में हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय से गणित में बीएसी की। इसी कॉलेज से उन्होंने एमएससी भी की। योगी आदित्यनाथ 1992 में गोरखपुर आए और महंत अवेद्यनाथ से दीक्षा ली। इसके बाद वह 1994 में संन्यासी बन गए।
महंत अवेद्यनाथ के निधन के बाद योगी को गोरखनाथ मंदिर का महंत बना दिया गया। बता दें कि 1998 में योगी ने गोरखपुर लोकसभा सीट से पहली बार भारतीय जनता पार्टी के टिकट से चुनाव लड़ा और वो जीत गए। 12वीं लोकसभा चुनाव में वो सबसे कम उम्र के सांसद थे, उस समय उनकी उम्र केवल 26 वर्ष की थी।
1998 से लेकर मार्च 2017 तक योगी आदित्यनाथ गोरखपुर से सांसद रहे। 2017 में उन्होंने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। योगी आदित्यनाथ गोरखपुर लोकसभा सीट से लगातार 5 बार सांसद चुने गए हैं।
योगी आदित्यनाथ के पिता फॉरेस्ट रेंजर के पद से 1991 में रिटायर हो गए थे। उसके बाद से वे अपने गांव में रह रहे थे। योगी आदित्यनाथ अपना परिवार छोड़कर गोरखपुर महंत अवेद्यनाथ के पास चले गए थे। सीएम योगी चार भाई और तीन बहनों में दूसरे नंबर के हैं। उनके दो भाई कॉलेज में नौकरी करते हैं, जबकि एक भाई सेना की गढ़वाल रेजिमेंट में सूबेदार हैं।
योगी के गुरु अवेद्यनाथ ने 1998 में राजनीति से संन्यास लिया और योगी आदित्यनाथ को अपना उत्तराधिकारी घोषित कर दिया। यहीं से योगी आदित्यनाथ की राजनीतिक पारी शुरू हुई। 1998 में गोरखपुर से 12वीं लोकसभा का चुनाव जीतकर योगी आदित्यनाथ संसद पहुंचे तो उस समय वह सबसे कम उम्र के सांसद थे, वो 26 साल की उम्र में पहली बार सांसद बने।
योगी आदित्यनाथ हिंदू युवा वाहिनी के संस्थापक भी हैं, हिंदू युवा वाहिनी संगठन हिंदू युवाओं का सामाजिक, सांस्कृतिक और राष्ट्रवादी समूह है। 7 सितंबर 2008 को सांसद योगी आदित्यनाथ पर आजमगढ़ में जानलेवा हिंसक हमला हुआ था। इस हमले में वे बाल-बाल बच गए थे।
वहीं, आदित्यनाथ को गोरखपुर दंगों के दौरान गिरफ्तार भी किया गया था, जब मोहर्रम के दौरान फायरिंग में एक हिंदू युवा की जान चली गई थी। 1998 से लेकर मार्च 2017 तक योगी आदित्यनाथ गोरखपुर से सांसद रहे और हर बार उनकी जीत का आंकड़ा बढ़ता ही गया।
वहीं, 2017 में उन्होंने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। अब आज दोबारा मुख्यमंत्री बनने की शपथ ले रहे हैं। उत्तर प्रदेश की राजनीति में 37 सालों बाद ऐसा मौका आ रहा है जब कोई पार्टी लगातार दूसरी बार सत्ता में आई है।