मीडिया ग्रुप, 28 फरवरी, 2022
उत्तराखंड सरकार ने पिछले वर्ष केंद्र सरकार की ओर से जारी किरायेदारी अधिनियम के मॉडल प्रारूप को प्रदेश में लागू करने के लिए इससे संबंधित विधेयक पारित करते हुए इसे मंजूरी के लिए राजभवन भेजा था। जिस पर राजभवन ने मुहर लगा दी।
विधेयक के अधिनियम बनने से मकान मालिक और किरायेदार दोनों के हित सुरक्षित होंगे। इससे राज्य में किरायेदारी आवास बाजार पनपने से आवास की कमी भी दूर होगी।
प्रदेश में किरायेदारी विधेयक को मंजूरी के बाद यह अधिनियम बन गया है। जिसमें मकान मालिक और किरायेदारों के हितों की सुरक्षा के लिए नियम तय किए गए हैं। इसके लिए राज्य में किराया प्राधिकरण अस्तित्व में आएगा। यदि मकान मालिक और किराएदार के बीच कोई विवाद है तो इसका निपटारा प्राधिकरण में हो सकेगा।
मकान मालिक व किरायेदार के बीच लिखित रूप से अनुबंध होगा और सहमति से ही किराया तय किया जाएगा। अधिनियम के हिसाब से मकान की पुताई से लेकर बिजली की वायरिंग, स्विच बोर्ड, पानी का नल ठीक करने आदि के लिए अलग-अलग जिम्मेदारी तय की जाएगी। इससे मकान मालिक व किरायेदार के बीच किसी तरह का विवाद नहीं रहेगा।
इस कानून के लागू होने के बाद मकान मालिक अपनी मर्जी से किराया नहीं बढ़ा सकेंगे। किराये से संबंधित विवाद व शिकायतों को किराया प्राधिकरण में निपटाया जाएगा।
उत्तराखंड किरायेदारी अधिनियम 2021 में न केवल आवासीय भवन बल्कि व्यावसायिक भवन भी शामिल होंगे। इससे किराया बाजार को बढ़ावा मिलेगा। जो जितना अधिक किराया लेगा, उसी हिसाब से सुविधाएं भी देगा।