उत्तराखंड: कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत का पद से इस्तीफा, भाजपा को प्रचंड बहुमत के बाद अपने ही विधायकों की अनदेखी का चुनाव में उठाना पड़ सकता है खामियाजा।

मीडिया ग्रुप, 25 दिसंबर, 2021
लेखक- गुरबाज सिंह, विधि संपादक- मीडिया ग्रुप

उत्तराखंड की राजनीति में भाजपा और कॉंग्रेस दो ही दल राज्य के गठन से काबिज चले आ रहे है। कांग्रेस की पिछले विधानसभा चुनाव में हुई करारी हार के बाद कांग्रेस के पास अब खोने को कुछ नहीं है लेकिन भाजपा को प्रचंड बहुमत के बाद अपने ही विधायकों की अनदेखी अब इस चुनाव में भारी पड़ रही है। दबलते हालातों और अपने ही विधायकों की नाराजगी से भाजपा को सत्ता गवाने का डर सता रहा है।

भाजपा की सत्ता में वापिसी की आस छोड़ चुके नेता एक बार फिर पलटी मारने को तैयार बैठे है। ऐसा केवल भाजपा में ही नहीं है बल्कि कॉंग्रेस में भी ऐसे नेताओं की कमी नहीं है जो सत्ता के स्वार्थ में एक पल में ही पलटी मारने को तैयार रहते है। फिलहाल कांग्रेस में मची हलचल के बाद अब भाजपा में तूफान खड़ा हो गया है। कैबिनेट मंत्री डा हरक सिंह रावत की मंत्री पद से इस्तीफे की पेशकश से भाजपा में हलचल बढ़ गई है।

कोटद्वार मेडिकल कालेज से संबंधित प्रस्ताव कैबिनेट में न लाए जाने से नाराज बताए जा रहे हरक सिंह रावत कैबिनेट की बैठक छोड़कर चले गए। रावत के स्टाफ के अनुसार रावत शनिवार को मंत्री पद से इस्तीफा देंगे। चर्चा यह भी है कि कैबिनेट की बैठक के दौरान ही हरक ने इस्तीफा दे दिया। उधर, रायपुर क्षेत्र से भाजपा विधायक उमेश शर्मा काऊ के भी भाजपा छोड़ने की चर्चा है। काऊ को हरक सिंह के करीबियों में माना जाता है। हालांकि इसकी पुष्टि नहीं हुई।

कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत भी उन विधायकों में शामिल हैं, जो मार्च 2016 के राजनीतिक घटनाक्रम के बाद कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए थे। वर्ष 2017 में भाजपा की सरकार बनने पर उन्हें कैबिनेट मंत्री बनाया गया। हालांकि, तब तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से उनका विभिन्न मामलों में छत्तीस का आंकड़ा रहा।

उत्तराखंड भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड को लेकर उनकी और तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र के बीच तनातनी सुर्खियों में रही थी। इस साल जुलाई में मंत्री पद की शपथ लेने में की थी आनाकानी सरकार में इस साल जुलाई में दूसरी बार हुए नेतृत्व परिवर्तन होने पर नाराज हरक ने मंत्री पद की शपथ लेने में आनाकानी की थी।

बाद में पार्टी के राष्ट्रीय नेतृत्व के सक्रिय होने पर मामला सुलझ गया था। इस बीच हरक सिंह रावत लगातार ही अपने विधानसभा क्षेत्र कोटद्वार में मेडिकल कालेज का मुद्दा उठाते आ रहे हैं, लेकिन इसका समाधान नहीं हो पाया है। पूर्व में उन्होंने कर्मकार कल्याण बोर्ड के माध्यम से इसके लिए धनराशि उपलब्ध कराने का निर्णय लिया था। यह राशि भी कार्यदायी संस्था को दे दी गई थी, लेकिन फिर पेच फंस गया और तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के निर्देश पर यह राशि वापस ले ली गई थी। यही नहीं, हरक समय-समय पर चुनाव न लड़ने की बात भी करते आए हैं। कई बार उनकी कांग्रेस में घर वापसी की चर्चाएं भी होती रही हैं।

शुक्रवार को तब राजनीतिक हलचल तेज हो गई, जब कैबिनेट मंत्री हरक सिंह सचिवालय में चल रही कैबिनेट बैठक छोड़कर चले आए। बताया गया कि उन्होंने बैठक के दौरान ही मंत्री पद से इस्तीफे की पेशकश की और फिर वहां से निकल गए। इससे बैठक में सभी सन्न रह गए। नाराज हरक से कई बार मोबाइल पर संपर्क करने का प्रयास किया गया, लेकिन फोन बंद मिला।

कैबिनेट मंत्री एवं शासकीय प्रवक्ता सुबोध उनियाल ने हरक सिंह रावत के इस्तीफे से इनकार किया। हालांकि, उन्होंने बैठक में हरक सिंह के नाराज होने की बात स्वीकार की। साथ ही विधायक उमेश शर्मा काऊ के भाजपा से इस्तीफा देने की खबर से भी इनकार किया। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक ने भी दोनों नेताओं के इस्तीफे से इनकार किया है।