ऐतिहासिक रहा किसान आंदोलन, केन्द्र सरकार को कृषि कानून वापिस लेने के लिये किया मजबूर।

मीडिया ग्रुप, 09 दिसंबर, 2021

किसान आंदोलन की चिंगारी पंजाब से ही सुलगी थी। 5 जून 2020 को केंद्र ने कृषि सुधार बिल संसद में रखे थे। इसके बाद 17 सितंबर को इन्हें पारित कर दिया गया। इसके बाद पंजाब में सबसे पहले इसका विरोध शुरू हुआ।

24 सितंबर को पंजाब से आंदोलन की शुरुआत हुई। इसके 3 दिन बाद राष्ट्रपति की मंजूरी के साथ यह कानून बन गए। फिर 25 नवंबर को किसानों ने दिल्ली कूच कर दिया।

इसका ऐलान होते ही हरियाणा ने बॉर्डर सील कर दिए। जहां किसानों पर लाठीचार्ज हुआ। पानी की बौछारें छोड़ी गई। किसान बैरिकेड तोड़कर हरियाणा में घुस गए। अगले दिन हरियाणा सरकार को भी पीछे हटना पड़ा। किसानों ने दिल्ली के सिंघु और टिकरी बॉर्डर पर आंदोलन शुरू कर दिया।

इसके बाद केंद्र सरकार के साथ 11 दौर की वार्ता हुई लेकिन किसान कानून वापस लेने के लिए यस या नो की शर्त पर अड़ गए। जिसके बाद काफी समय बातचीत बंद रही। 26 जनवरी 2021 का वह दिन भी आया, जब ट्रैक्टर मार्च के दौरान दिल्ली में कुछ प्रदर्शनकारी लाल किला तक पहुंच गए। दिल्ली में हिंसा हुई। किसान आंदोलन पर कई तरह के आरोप लगे लेकिन किसान डटे रहे।

19 नवंबर को गुरुनानक देव जी के प्रकाश पर्व पर पीएम नरेंद्र मोदी ने तीनों कृषि कानून वापस लेने की घोषणा कर दी। 29 नवंबर को इन्हें लोकसभा और राज्यसभा से पास कर दिया। इसके बाद किसानों ने MSP पर गारंटी कानून की मांग की।

हालांकि अब इस पर सहमति बनी कि केंद्र की कमेटी में संयुक्त किसान मोर्चे के मेंबर भी शामिल होंगे। इसके अलावा केस वापसी पर भी केंद्र ने लिखित में दे दिया है। जिसके बाद 378 दिन बाद किसान आंदोलन गुरुवार को खत्म हो गया।