रुद्रपुर नगर निगम चुनाव: कांग्रेस के जनाधार पर सवाल, चुनावी रण में कमजोर पकड़

रुद्रपुर। नगर निगम चुनाव में कांग्रेस पार्टी के लिए यह चुनाव सबसे चुनौतीपूर्ण साबित हो रहा है। मेयर प्रत्याशी मोहन खेड़ा की सीमित पकड़ और पार्टी में हो रही आंतरिक विखंडन ने कांग्रेस की जीत की संभावनाओं को बुरी तरह प्रभावित किया है। मोहन खेड़ा की लोकप्रियता केवल अपने वार्ड तक ही सीमित रह गई है, जिससे उन्हें अन्य वार्डों में अपना प्रभाव स्थापित करने में कठिनाई हो रही है। यह स्थिति पार्टी के लिए गंभीर चिंता का विषय बन चुकी है।

चुनाव की तिथियों के ऐलान के बाद से ही कांग्रेस को लगातार झटके लगते दिख रहे हैं। पार्टी के पूर्व पार्षद मोनू निषाद और सुमित छाबड़ा ने अपने दर्जनों समर्थकों के साथ भाजपा का समर्थन करने का निर्णय लिया है। विधायक शिव अरोरा ने उन्हें माला पहनाकर भाजपा में शामिल किया, जिससे कांग्रेस की पकड़ कमजोर पड़ रही है। इसके अतिरिक्त, मुख्य बाजार क्षेत्र से कांग्रेस नेता मनीष गोस्वामी भी अपने समर्थकों के साथ भाजपा में शामिल हो गए हैं। मनीष गोस्वामी की मुख्य बाजार में मजबूत पकड़ ने कांग्रेस की स्थिति को और अधिक कमजोर कर दिया है।

वार्ड नंबर 16 में कांग्रेस प्रत्याशी हरीश चंद्र मिश्रा ने भाजपा पार्षद प्रत्याशी प्रमोद शर्मा के समर्थन में अपना नाम वापस ले लिया, वहीं वार्ड नंबर 19 में कांग्रेस प्रत्याशी संदीप वाल्मीकि ने भाजपा प्रत्याशी सुनील वाल्मीकि का समर्थन किया। इन दोनों वार्डों में अब भाजपा प्रत्याशियों का निर्विरोध चुना जाना निश्चित हो गया है, जिससे कांग्रेस की सीटें और भी कम हो रही हैं। इसके अलावा, पूर्व विधायक राजकुमार ठुकराल और उनके छोटे भाई संजय ठुकराल ने भी निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में अपना नामांकन वापस ले लिया और भाजपा का समर्थन करने का निर्णय लिया है। यह घटना कांग्रेस के लिए एक बड़ा धक्का साबित हुई है।

मीडिया सर्वेक्षण के अनुसार, कांग्रेस की हार तय है। पार्टी की कमजोर संगठनात्मक संरचना और नेतृत्व में अस्थिरता ने चुनावी माहौल को कांग्रेस के खिलाफ खड़ा कर दिया है। पार्टी के भीतर बढ़ती असंतोष और विद्रोह ने कांग्रेस की एकजुटता को तोड़ दिया है, जिससे चुनाव में उनका प्रदर्शन कमजोर पड़ रहा है।

चुनाव के निकट आने पर कांग्रेस की स्थिति और भी अधिक नाजुक हो गई है। पार्टी के समर्थकों में निराशा फैल रही है और संगठन में टूट-फूट देखी जा रही है। इस परिस्थिति में, कांग्रेस को अपनी रणनीति पर पुनर्विचार करने और संगठनात्मक ढांचे को मजबूत करने की आवश्यकता है।

कुल मिलाकर, रुद्रपुर नगर निगम चुनाव में कांग्रेस की स्थिति अत्यंत कमजोर है। पार्टी के भीतर हो रही आंतरिक विखंडन, प्रमुख नेताओं का भाजपा में शामिल होना और चुनावी मैदान में कमजोर प्रदर्शन ने कांग्रेस की हार की संभावनाओं को बढ़ा दिया है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि कांग्रेस अपनी स्थिति को सुधारने में असमर्थ रही, तो यह चुनाव पार्टी के लिए हार के साथ समाप्त हो सकता है।