उत्तराखंड में होने वाले लोकसभा चुनावों में 80 फीसदी से अधिक उम्मीदवार अपनी जमानत भी नहीं बचा पाते। राज्य स्थापना के बाद चार आम चुनाव हुए हैं, जिनमें 256 में से 213 यानी 83 फीसदी से अधिक उम्मीदवारों की जमानत जब्त हुई। इनमें विशेषकर निर्दलीय और पंजीकृत गैर मान्य दलों के प्रत्याशी शामिल हैं।
लोकसभा चुनाव के ट्रेंड को देखें, तो मतदाताओं को राज्य की पार्टी, पंजीकृत गैर मान्य दल और निर्दलीय प्रत्याशी पसंद नहीं आते हैं। 2004 से लेकर 2019 तक के चार चुनावों के आंकड़े इस बात की पुष्टि कर रहे हैं। चारों चुनाव में 256 उम्मीदवार मैदान में उतरे थे, जिनमें से 213 उम्मीदवार अपनी जमानत ही नहीं बचा पाए। यानी जनता ने उन्हें इतने भी वोट नहीं मिले।
इस बार के लोकसभा चुनाव में कुल 55 प्रत्याशी मैदान में हैं। इनमें राष्ट्रीय दलों भाजपा, कांग्रेस, बसपा के कुल 15, पंजीकृत गैर मान्य दलों के 22 और 18 निर्दलीय प्रत्याशी शामिल हैं। अब नतीजे आने के बाद ही स्पष्ट होगा कि परंपरा कायम रहेगी या फिर नई परंपरा शुरू होगी।
किस चुनाव में कितने प्रत्याशियों की हुई जमानत जब्त
2004 : मैदान में कुल 54 प्रत्याशी थी, जिनमें से 43 यानी 79 फीसदी की जमानत जब्त हो गई। राष्ट्रीय दलों के 14 में से चार, राज्य पार्टी के 15 में से 14, पंजीकृत गैर मान्य दलों के सात में से सात और निर्दलीय 18 में से 18 प्रत्याशियों की जमानत जब्त हुई।
2009 : कुल 76 प्रत्याशी मैदान में उतरे, जिनमें से 64 यानी 84 फीसदी की जमानत जब्त हुई। राष्ट्रीय दलों के 18 में से छह, राज्य के दल के सात में से सात, पंजीकृत गैर मान्य दल के सभी 22 और सभी 29 निर्दलीय प्रत्याशी अपनी जमानत नहीं बचा पाए।
2014 : मैदान में कुल 74 प्रत्याशी उतरे, जिनमें से 64 यानी 86 फीसदी की जमानत जब्त हुई। राष्ट्रीय दलों के 17 में से सात, पंजीकृत गैर मान्य दलों के सभी 30 और सभी 27 निर्दलीय प्रत्याशी अपनी जमानत बचाने में कामयाब नहीं हो पाए।
2019 : मैदान में कुल 52 प्रत्याशी उतरे, जिनमें से 42 यानी 80 प्रतिशत की जमानत जब्त हुई। राष्ट्रीय दलों के 15 में से पांच, पंजीकृत गैर मान्य दलों के सभी 20 और सभी 17 निर्दलीय प्रत्याशी जमानत बचाने में नाकाम रहे।
क्या होता है जमानत जब्त होना
जो उम्मीदवार चुनाव में कुल वैध वोटों का कम से कम छठा हिस्सा यानी 16.67 फीसदी मत हासिल नहीं कर पाते हैं, उनकी जमा राशि जब्त हो जाती है। सामान्य उम्मीदवारों के लिए जमानत राशि 25,000 रुपये और एससी, एसटी समुदायों के उम्मीदवारों के लिए 12,500 रुपये है।
किस परिस्थिति में वापस मिलती है जमानत राशि
किसी उम्मीदवार का नामांकन खारिज हो जाता है या वह अपनी उम्मीदवारी वापस ले लेता है तो राशि वापस लौटा दी जाती है।
किसी उम्मीदवार की मतदान शुरू होने से पहले मृत्यु हो जाती है तो उसके परिवार को यह राशि वापस मिल जाती है। कोई उम्मीदवार कुल डाले गए वोट के छठवें हिस्से से ज्यादा वोट हासिल कर लेता है तो उसे राशि वापस मिल जाती है।
किसी उम्मीदवार को छठवें हिस्से जितने वोट नहीं मिलते, लेकिन वह चुनाव में जीत हासिल कर लेता है तो इस परिस्थिति में भी उसे राशि वापस मिल जाती है।