उधमसिंह नगर के शांतिपुरी के पंतनगर में मंगलवार को तराई पूर्वी वन प्रभाग के डौली रेंज में वन्यजीव संघर्ष में एक सात साल के बाघ की मौत हो गई, लेकिन वनकर्मी मामले को दबाए रहे। बुधवार को मीडिया में खबर पहुंचते ही आनन फानन में पशु चिकित्सकों की टीम से पोस्टमार्टम कराने के बाद शव को दफना दिया गया।
मंगलवार की दोपहर वन कर्मियों की टीम गश्त पर थी। इसी दौरान टीम को इमलीघाट गेट से लगभग डेढ़ किमी अंदर बौडखत्ता मार्ग पर कोटखर्रा-2 के पास सड़क किनारे एक बाघ का शव दिखाई दिया। पास जाकर देखा तो बाघ के पैरों व शरीर पर चोटों के निशान मौजूद थे। आनन फानन उच्चाधिकारियों को सूचना देकर बाघ का शव वन चौकी लाया गया।
मौके पर पहुंचे रेंजर नवीन पंवार और डिप्टी रेंजर मनोज जोशी ने पोस्टमार्टम के लिए चिकित्सकों की टीम को बुलाया, लेकिन किन्ही कारणों से टीम नहीं आ सकी। जिसके बाद बाघ के शव को चौकी के एक कमरे में बर्फ की सिल्ली मंगाकर रखवा दिया गया। बुधवार को दोपहर बाद पहुंची पशु चिकित्सकों की टीम ने बाघ के शव का पोस्टमार्टम किया जिसके बाद शव को दफना दिया गया।
रेंजर पंवार ने बताया कि मृत बाघ की उम्र लगभग सात साल के आसपास है, उसके शरीर पर चोटों के निशान भी पाए गए हैं। जिससे प्रथमदृष्टया बाघ की मौत वन्यजीव संघर्ष में हुई प्रतीत होती है या किसी वाहन के टकराने से भी हो सकती है। मृत बाघ के सभी अंग सुरक्षित हैं, इसलिए मानवीय हस्तक्षेप की कोई गुजाइश नहीं है।
पंतनगर में ही लगभग 10 दिन पूर्व जिस स्थान पर मंगलवार को बाघ का शव मिला, वहां से लगभग आधा किमी. दूर वन कर्मियों को एक तेंदुए का शव भी मिला था। जिसकी मीडिया को भनक नहीं लग सकी और वन कर्मियों ने तेंदुए का पोस्टमार्टम कराने के बाद दफना दिया। इस मामले में भी 30 घंटे तक वन कर्मियों ने मामले को छुपाए रखा। लेकिन रिपोर्टर मौके पर पहुंच गया और मृत बाघ की फोटो आदि खींच लीं, जिसके बाद अधिकारियों ने मामले की जानकारी दी।