केंद्रीय मंत्री की मांग पर लोकसभा चुनाव से पहले पश्चिमी यूपी को अलग राज्य बनाने का मुद्दा गरमाया।

मीडिया ग्रुप, 03 अक्टूबर, 2023

बीजेपी नेताओं के साथ ही अन्य राजनैतिक दलों के नेताओं द्वारा यूपी को अलग अलग राज्य बनाने की मांग मीडिया की सुर्खियां बनी है। लोकसभा चुनाव 2024 से पहले केंद्रीय राज्यमंत्री और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जाटों के बड़े नेता संजीव बालियान ने अलग प्रदेश की मांग की है। संजीव बालियान ने जाट समाज के एक अधिवेशन में रविवार (1 अक्टूबर) को कहा कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश अलग राज्य बनना चाहिए और मेरठ इस नए प्रदेश की राजधानी बने।

संजीव बालियान ने कहा कि वह ये सपना लंबे समय से देख रहे हैं। संजीव बालियान के बयान के कई सियासी मायने देखे जा रहे हैं। रविवार को मेरठ में सुभारती विश्वविद्यालय के प्रेक्षागृह में अंतरराष्ट्रीय जाट संसद का आयोजन किया गया था। इस जाट संसद में देश-विदेश के जाट नेताओं और जाट समाज के सरदारों ने शिरकत की। इस सभा में हरियाणा, उत्तर प्रदेश, पंजाब समेत कई राज्यों से जाट समाज के बड़े नेता शामिल हुए। संजीव बालियान ने कहा कि सिर्फ एक जाति के सहारे आगे नहीं बढ़ा जा सकता है। सभी जाति बिरादरियों को साथ लेकर चलना पड़ेगा।

वहीं सुभासपा के अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर इसके समर्थन में हैं। उनका कहना है कि ये बहुत बड़ा राज्य है और इसको चार हिस्सों में बांट देना चाहिए। बिजनौर के बसपा सांसद मलूक नागर ने कहा है कि 70 साल से लंबित चल रही पश्चिम उत्तर प्रदेश को अलग राज्य बनाने की मांग को पूरा करने का वक्त आ गया है। केंद्रीय राज्य मंत्री संजीव बालियान ने पश्चिम उत्तर प्रदेश के अलग राज्य बनने की जो उम्मीद जताई है, केंद्र सरकार को संसद से उसे पारित कर देना चाहिए। अलग राज्य को हमारा पूर्ण समर्थन है।

बसपा सांसद मलूक नागर ने बताया कि संसद में उन्होंने पश्चिमी उत्तर प्रदेश को अलग राज्य बनाने का मुद्दा जोर-शोर से उठाया था। वर्ष 1955 में बाबा साहब डॉक्टर भीमराव आंबेडकर ने उत्तर प्रदेश को तीन भागों में बांटने की पुरजोर वकालत की थी। वर्ष 1953 में दिल्ली के पहले मुख्यमंत्री ब्रह्म प्रकाश ने पश्चिमी यूपी को दिल्ली में मिलने का सुझाव दिया था। चौधरी चरण सिंह और अजित सिंह भी राज्य के बंटवारे के पक्ष में थे।

बता दें कि, इससे पहले भी समय-समय पर पश्चिमी यूपी को अलग राज्य बनाने की मांग उठती रही है, 2012 के विधानसभा चुनाव से ठीक पहले तत्कालीन सीएम और बीएसपी चीफ मायावती ने यूपी के बंटवारे का प्रस्ताव पास किया। यूपी विधानसभा में मायावती सरकार ने बिना चर्चा के ये प्रस्ताव पास करा लिया। ये उत्तर प्रदेश को चार राज्यों- पूर्वांचल (पूर्वी यूपी), पश्चिमी प्रदेश (पश्चिमी यूपी), बुंदेलखंड (दक्षिणी यूपी) और अवध प्रदेश (मध्य यूपी) में बांटने का प्रस्ताव था।

हालांकि, केंद्र की तत्कालीन यूपीए सरकार ने मायावती सरकार के इस प्रस्ताव को लौटा दिया था. केंद्र ने तब कुछ मुद्दों पर स्पष्टीकरण भी मांगे थे. मसलन, नए राज्यों की सीमाएं कैसी होंगी? राजधानियां क्या बनेंगी? कर्ज का बंटवारा कैसे होगा? उस समय मायावती के विरोधियों ने इसे चुनावी शिगूफा बताया था। 2012 में मायावती चुनाव हार गईं। समाजवादी पार्टी सत्ता में आई। समाजवादी पार्टी ने ‘अखंड उत्तर प्रदेश’ का नारा दिया था।

हालांकि, इस बार अलग राज्य की मांग लोकसभा चुनाव से ठीक पहले उठी है। प्रदेश की जनता भी यूपी के बटवारे को विकास के क्षेत्र में एक बड़ा कदम मान रही है।