मीडिया ग्रुप, 08 अप्रैल, 2022
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बुलंदशहर की जिला अदालत में लिपिक रहे विक्रम शर्मा को अवमानना का दोषी पाया है। कोर्ट ने लिपिक को छह महीने का कारावास और एक हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई। कोर्ट ने कहा कि चूंकि लिपिक पहले ही 20 महीने 20 दिन जेल की सजा काट चुका है।
लिपिक अगर जुर्माने की रकम जमा करता है तो उसे तुरंत जेल से रिहा कर दिया जाए। कोर्ट ने आदेश के अनुपालन के लिए आदेश की प्रति जिला न्यायाधीश बुलंदशहर और अधीक्षक केंद्रीय कारागार नैनी प्रयागराज को भेजने के लिए कहा है। यह आदेश न्यायमूर्ति सुनीत वर्मा और न्यायमूर्ति उमेश चंद्र शर्मा की खंडपीठ ने अवमानना याचिका को निस्तारित करते हुए दिया है।
कोर्ट ने कहा कि अवमाननाकर्ता ने अपने आचरण के लिए ईमानदारी से माफी मांगी होती तो कोर्ट नरम रुख अपनाती। लेकिन, अवमाननाकर्ता जानबूझकर कार्यवाही से बचता रहा और वारंट जारी होने के बाद दो मौकों पर हिरासत में लिया गया था। इससे यह सिद्ध होता है कि अवमाननाकर्ता को अपने आचरण के लिए कोई पछतावा नहीं है।
उसमें कानून के अधिकार और भारत के संविधान के लिए कोई सम्मान नहीं है। इसलिए मामले में नरम रुख अपनाना गलत होगा। लिपिक ने प्रधानमंत्री, भारत के मुख्य न्यायाधीश, प्रदेश के मुख्यमंत्री, इलाहाबाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को 15 दिसंबर 16 को शो काज नोटिस बनाम अली जामिन के हवाले से पत्र लिखकर बुलंदशहर जिला कोर्ट के जजों व स्टाफ अमर्यादित टिप्पणी की थी।