ऊधमसिंह नगर : धान तोल में बड़ी धांधली और आढ़तियों एवं अनाज माफियाओं द्वारा दूसरे राज्य से धान लाकर तुलवाने का आरोप।

मीडिया ग्रुप, 08 नवंबर, 2021

सितारगंज। धान खरीद में खतौनियों का गलत इस्तेमाल हो रहा है। अनाज माफिया गन्ने, बाग बगीचों की खतौनिया लगाकर धान तोल करवा रहे है। मंडी में किसानों ने इस तरह के आरोप लगाकर सिस्टम पर ही सवाल खड़े कर दिये है।

किसानों का आरोप है कि लंबे समय से उनका धान नही तोला जा रहा है। जबकि मिली भगत कर धान खरीद में अन्य फसलों की खतौनियां दर्शायी जा रही है।

दीपावली पर अवकाश के बाद धान तोल शुरु की गई। सोमवार को मंडी में धान के काफी संख्या में ढेर लगे हुये  दिखे। यहां मौजूद किसानों ने कहा कि धान बिक्री में कई हफ्ते लग जा रहे है। जबकि बाहरी क्षेत्र से आये अनाज माफिया का धान तत्काल तोला जा रहा है।

नयागांव निवासी गयासुद्दीन खांन ने आरोप लगाया कि बाहरी राज्यों से खरीदकर लाये धान को मंडी में बेचकर अनाज माफिया मोटा मुनाफा कमा रहे है। धान बिक्री के लिये गन्ने के खेतों, बाग-बगीचों की खतौनिया इस्तेमाल की जा रही है। जबकि अनाज माफिया जिस भूमि में धान की उपज दर्शा रहा है उस भूमि में बाग-बगीचे बने हुये है। डूब क्षेत्रों में गन्ने की फसले खड़ी है। इस तरह की भूमि की खतौनियां धान खरीद में प्रयोग लायी जा रही है। मिली भगत के जरिये अनाज माफिया किसानों को बर्बाद करने में लगे हुये है। उन्होंने प्रशासन से मामले की गहनतापूर्वक जांच की मांग उठायी है।

खेत की खतौनी में फसल, पेड़, पौधे, रास्ते, भवन किसी तरह का रिकार्ड दर्ज नही किया जाता है। जबकि खसरे में इस तरह की सभी जानकारी चढ़ायी जाती है। हर तीन माह में खसरे का रिकार्ड बनाया जा सकता है। धान तोल में अनाज माफिया खतौनी का सहारा लेकर लूट-खसौट करने में लगे है। जबकि तोल के दौरान खतौनी के साथ ही खसरे का रिकार्ड भी अगर लगाया जाता तो जमीन की वास्तविक स्थिति का आसानी से पता लगाया जा सकता था।

अनाज माफिया तड़के ही यूपी से धान लेकर क्षेत्र में पहुंच रहे है। यूपी बार्डर में लगे सीसीटीवी कैमरों में इस तरह के सभी वाहन कैद होते है। इसके बाद माफिया के धान के ढेर कांटों में लगा दिये जाते है। जहां मिलीभगत के जरिये यूपी का धान राज्य सरकार के रेट में बिक्री हो जाता है और क्षेत्र के किसानों का धान समय पर नही बिक पाता। विवश होकर किसान धान सस्ते दामों में बाजार में बेच देते है।