उधमसिंह नगर। शिक्षा विभाग में फर्जी शैक्षिक प्रमाणपत्र के आधार पर 15 साल से नौकरी कर रही सहायक शिक्षिका को जिला शिक्षा अधिकारी (डीईओ) ने सेवा से बर्खास्त कर दिया है। विभागीय जांच में उनके प्रमाणपत्र कूटरचित पाए गए थे।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, गिंदर को सहायक अध्यापिका के पद पर नियुक्त किया गया था। जांच के दौरान उत्तराखंड विद्यालयी शिक्षा परिषद रामनगर के सचिव और उप शिक्षा अधिकारी बाजपुर के पत्र के आधार पर इलाहाबाद से जारी प्रथमा, मध्यमा की कोई भी उच्चतर परीक्षा हाईस्कूल/इंटरमीडिएट के समकक्ष नहीं पाई गई। इस आधार पर 2022 में उन्हें निलंबित किया गया था। हालांकि, उत्तराखंड उच्च न्यायालय में दायर रिट याचिका के बाद उनका निलंबन निरस्त कर उन्हें पुनः सेवा में बहाल कर दिया गया था।
इसके बाद भी विभाग ने दो बार उन्हें निलंबित किया, लेकिन न्यायालय ने दोनों बार निलंबन को निरस्त कर पुनः बहाली के आदेश दिए। मामले की विस्तृत जांच खंड शिक्षा अधिकारी रुद्रपुर को सौंपी गई। जांच में पाया गया कि गिंदर के अंकपत्र व प्रमाणपत्र कूटरचित रूप से तैयार किए गए थे। इसकी रिपोर्ट हिंदी साहित्य सम्मेलन इलाहाबाद (प्रयागराज) को भेजी गई, जहां से प्रमाणित हुआ कि उनके प्रमाणपत्र फर्जी थे।
उत्तराखंड सरकारी सेवक (अनुशासन और अपील) नियमावली के तहत सहायक शिक्षिका गिंदर को सेवा से बर्खास्त कर दिया गया है। डीईओ हरेंद्र कुमार मिश्र ने कहा कि फर्जी प्रमाणपत्रों के आधार पर नौकरी करने वाले किसी भी शिक्षक को बख्शा नहीं जाएगा। इस वर्ष अब तक चार शिक्षकों के खिलाफ कार्रवाई की जा चुकी है, जबकि कई अन्य मामलों की जांच जारी है।