लोहडी : सिख समुदाय का महत्वपूर्ण त्योहार।

मीडिया ग्रुप, 13 जनवरी, 2024

लोहड़ी सिख परिवारों के लिए महत्वपूर्ण त्योहार हैं। लोहड़ी मकर संक्रांति के एक दिन पहले मनाया जाता है। हर साल 13 जनवरी को पंजाबी परिवारों में विशेष उत्साह होता है। यह उत्साह तब और बढ़ जाता है यदि घर में बहू या फिर बच्चे के जन्म की पहली लोहड़ी हो।

इस दिन लोहड़ी पूजन की सामग्री जुटाकर शाम होते ही परिवार के सदस्यों के साथ विशेष पूजन करके आग जलाकर लोहड़ी का जश्न मनाया जाता है। पूरा परिवार अग्नि के चारों और परिक्रमा (चक्कर लगाना) लगाते हैं। पंजाब एवं जम्मू-कश्मीर में ‘लोहड़ी’ नाम से मकर संक्रांति पर्व मनाया जाता है।

इस उत्सव को पंजाबी समाज जोशो-खरोश से मनाता है। लोहड़ी मनाने के लिए लकड़ियों की ढेरी पर सूखे उपले भी रखे जाते हैं। समूह के साथ लोहड़ी पूजन करने के बाद उसमें तिल, गुड़, रेवडी एवं मूंगफली, का भोग लगाया जाता है।

प्रसाद में मुख्य रूप से तिल, गजक, गुड़, मूंगफली और मक्के की धानी (पॉपकार्न) बांटी जाती हैं। ढोल की थाप के साथ गिद्दा और भांगड़ा नृत्य इस अवसर पर विशेष आकर्षण का केंद्र होते हैं।

इस दिन का संबंध मन्नत से भी जोड़ा गया है अर्थात्‌ जिस घर में नई बहू आई होती है या घर में संतान का जन्म हुआ होता है, तो उस परिवार की ओर से खुशी बांटते हुए लोहड़ी मनाई जाती है। सगे-संबंधी और रिश्तेदार उन्हें आज के दिन विशेष सौगात के साथ बधाइयां भी देते हैं।

गोबर के उपलों की माला बनाकर मन्नत पूरी होने की खुशी में लोहड़ी के समय जलती हुई अग्नि में उन्हें भेंट किया जाता है। इसे चर्खा चढ़ाना कहते हैं। लोहड़ी एवं मकर सक्रांति एक-दूसरे से जुड़े रहने के कारण सांस्कृतिक उत्सव और धार्मिक पर्व का एक अद्भुत त्योहार है।