उत्तर प्रदेश : ऑटो स्टैंड विवाद में गया जेल, थप्पड़ के बदले में मर्डर कर माफिया बना विनोद; पढ़े फुल क्राइम कुंडली

बात वर्ष 1998 की है। तब विनोद उपाध्याय धर्मशाला से दो ऑटो चलवाता था। उसने पिता की सूदखोरी के धंधे में भी हाथ आजमाना शुरू कर दिया था। ऑटो स्टैंड के विवाद में पहली बार 1999 में जेल गया, वहां से निकला तो ठेकेदारी में पांव जमाने की कोशिश करने लगा।

2004 में विनोद फिर एक मामले में जेल गया तो वहां नेपाल के बदमाश ने किसी विवाद में उसे थप्पड़ जड़ दिया। पुलिस रिपोर्ट के मुताबिक जेल से निकलकर उसने हत्या करके बदला लिया और यहीं से उसके माफिया बनने की कहानी शुरू हो गई। 2005 में इसका बदला विनोद ने अपने साथियों संग मिलकर लिया।

विनोद पर 39 केस दर्ज हैं। उसने ठेकेदारी के साथ राजनीति में भी कदम बढ़ाया। वर्ष 2007 में उसने बसपा से विधानसभा चुनाव लड़ने के बाद सत्ता से नजदीकियां बनाए रखीं। यही वजह से रही कि तमाम वारदातों के बावजूद वह सत्ता की सरपरस्ती से बचता रहा।

ऑटो स्टैंड के विवाद में विनोद को 1999 में गोरखनाथ थाने से जेल भिजवाया गया। पहली बार जेल पहुंचा तो वहां उसे माफिया अजीत शाही की सरपरस्ती हासिल हो गई। जेल से बाहर आने के बाद उसकी मदद से ही ठेकेदारी करने लगा। हालांकि यह नजदीकी ज्यादा दिन नहीं टिकी और दोनों के संबंधों में खटास आ गई।

इसी बीच वर्ष 2001 में घर में घुसकर मारपीट, हत्या करने के मामले में विनोद का नाम फिर सामने आया। इसी मामले में वह जेल गया और बाहर आने के बाद अपना गिरोह बनाना शुरू कर दिया। उसने वीनस कांप्लेक्स में कार्यालय खोला, जहां से वह अपने धंधों को चलाने लगा।

2004 में विनोद फिर जेल गया। यही से उसके जिंदगी में बड़ा बदलाव आया। जेल में नेपाल के अपराधी जीत नारायण मिश्र से उसका विवाद हो गया। पुलिस रिपोर्ट के मुताबिक विनोद को जीत नारायण ने जेल में खाने के विवाद में थप्पड़ मार दिया था। 2005 में इसका बदला विनोद ने लिया।

कार से लखनऊ जा रहे माफिया जीत नारायण मिश्रा और उसके बहनोई गोरेलाल को संतकबीरनगर जिले के बखिरा में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। यह विनोद के माफिया बनने का पहला कदम था। उसके गिरोह में वैसे तो कई लोग आए और गए, लेकिन बिना मूंछ और मूंछ वाले नाम से जाने जाने वाले दो दोस्त ही उसके बेहद करीबी थे, जो बाद में राजनीति में चले गए।

इसमें से एक वर्तमान में जनप्रतिनिधि भी है। मूल रूप से अयोध्या के फैजाबाद के मुईया माया बाजार का रहने वाले माफिया विनोद के पिता स्व. रामकुमार उपाध्याय करीब 30 साल पहले परिवार के साथ गोरखपुर आकर बस गए। विनोद का पूरा परिवार यहां गोरखनाथ इलाके के धर्मशाला बाजार में रहने लगा। पिता सूद के बड़ा धंधेबाज था। ऐसे में विनोद समेत उसके दोनों छोटे भाई भी पिता के साथ सूद के धंधे में उतर गए।

46 वर्षीय विनोद का बेटा महज तीन साल का है तो बड़ी बेटी दस साल की। भाई ओमप्रकाश, जयप्रकाश और विजय उपाध्याय अपना कारोबार करते हैं। विनोद अपने भाई संजय के साथ अपराध में सक्रिय था। संजय इस समय जेल में है।

गोरखपुर व बस्ती मंडल में आतंक का पर्याय बने माफिया विनोद उपाध्याय को एसटीएफ ने शुक्रवार तड़के मुठभेड़ में मार गिराया। सुल्तानपुर के कोतवाली देहात थाना क्षेत्र के हनुमानगंज में बाईपास के पास शुक्रवार तड़के साढ़े तीन बजे एसटीएफ से बचने के लिए उसने फायरिंग कर दी।

जवाबी कार्रवाई में वह घायल हो गया। मेडिकल कॉलेज में चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित कर दिया। विनोद प्रदेश के टॉप-61 माफिया की सूची में शामिल था, उसके पास से कारबाइन, पिस्टल, कारतूस व कार बरामद हुई है।