मीडिया ग्रुप, 30 दिसंबर, 2021
पिथौरागढ़। भूकंप के झटकों से एक बार फिर उत्तराखंड की धरती डोल गई। बुधवार की रात 12 बजकर 39 मिनट पर भूकंप का झटका महसूस किया गया। अधिकांश लोगों के नींद में होने से इसका आभास नहीं हुआ। जिला आपदा प्रबंधन विभाग के अनुसार भूकंप की तीव्रता 4.1 मैग्नीट्यूट थी। इसका केंद्र भारत नेपाल सीमा थी। भूकंप की गहराई 10 किमी बताई जा रही है। भूकंप से किसी तरह के नुकसान की सूचना नहीं है।
भूकंप के लिहाज से उत्तराखंड संवेदनशील है। बागेश्वर जिला भूकंप की दृष्टि से बेहद संवेदनशील माना जाता है। इसी साल 12 फरवरी को भी उत्तराखंड के कई इलाकों में भूकंप के झटके महसूस किए गए थे। भूकंप ग्लेशियरों के लिए भी खतरा हिमालयी क्षेत्रों में ग्लेशियरों के लिए भी छोटे भूकंप खतरा बन सकते हैं।
ढाई से तीन रिक्टर स्केल तक भूकंप आना आम बात है। इतनी कम तीव्रता के भूकंप महसूस नहीं होते हैं, लेकिन ये ग्लेशियरों में कंपन पैदा कर उनको कमजोर बनाते हैं, जिससे ग्लेशियर धीरे-धीरे कमजोर पड़ जाते हैं। ऐसे में बड़ा भूकंप आने की दशा में ग्लेशियरों के टूटने की आशंका ज्यादा रहती है।
वैसे भी हिमालयी क्षेत्र में इंडो- यूरेशियन प्लेट की टकराहट के चलते जमीन के भीतर से ऊर्जा बाहर निकलती रहती है। जिस कारण भूकंप आना स्वाभाविक है। पिछले रेकार्ड देखें तो करीब नौ झटके सालभर में महसूस किए जा सकते हैं।
वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. सुशील कुमार का कहना है कि यह भूकंप राज्य के अति संवेदनशील जोन पांच में आया है और इससे स्पष्ट भी होता है कि भूगर्भ में तनाव की स्थिति लगातार बनी है। पिछले रिकॉर्ड भी देखें तो अति संवेदनशील जिलों में ही सबसे अधिक भूकंप रिकॉर्ड किए गए हैं।