Uttarakhand : वोट की चोट के लिए वोटर निकला बाहर, किसी की डूबेगी नैया, किसी की होगी पार, पढ़ें स्पेशल रिपोर्ट
उत्तराखंड के 11 नगर निगमों समेत 100 निकायों में आज बृहस्पतिवार को मतदाता अपने घरों से बाहर निकलेंगे। अभी तक राजनीतिक दलों के उम्मीदवार और उनके समर्थक अपने पक्ष में मतदान की अपील करने के लिए उनके दरवाजे पर पहुंचे थे। अब मतदाताओं की बारी है। मतदान केंद्र के अंदर वोट की चोट से वे किसी उम्मीदवार की चुनावी नैया पार लगाएंगे तो किसकी डुबा देंगे।
प्रदेश और अधिकांश निकायों में सत्तारूढ़ होने की वजह से भाजपा की प्रतिष्ठा दांव पर है तो वहीं सत्तारोधी रुझान के दम पर कांग्रेस नगर निगमों से लेकर नगर पालिका और नगर पंचायतों में उलटफेर करने की उम्मीद लगाए बैठी है। उधर, भाजपा और कांग्रेस में उभरे असंतोष और भड़की बगावत का लाभ उठाने के लिए निर्दलीय भी ताक में हैं।
निकाय चुनाव में सत्तारूढ़ भाजपा की प्रतिष्ठा दांव पर मानी जा रही है। पार्टी के स्टार प्रचारक रहे सीएम पुष्कर सिंह धामी हर जनसभा में ट्रिपल इंजन की सरकार बनाने की अपील करते रहे। अब पार्टी निकायों में जीत का शतक बनाने का दावा कर रही है। निकाय चुनावों के पिछले रिकॉर्ड पर गौर करें तो भाजपा ने पांच नगर निगमों के साथ कुल 43 निकायों में जीत दर्ज की थी। इस बार उसने जीत का ज्यादा बड़ा लक्ष्य बनाया है।पिछले छह वर्षों के दौरान राज्य में नगर निगमों की संख्या 11 हो चुकी है। श्रीनगर, अल्मोड़ा और पिथौरागढ़ नगर निगमों में पहली बार चुनाव हो रहे हैं। इससे पहले वे नगर पालिकाएं थीं।
निकाय चुनाव के नतीजों से पता चलेगा कि इन तीन नगरपालिकाओं को नगर निगम का दर्जा देने का दांव किसके पक्ष में रहा। 2018 में हुए चुनाव में भाजपा ने देहरादून, ऋषिकेश, हल्द्वानी, काशीपुर और रुद्रपुर नगर निगमों में जीत दर्ज की थी। इन सभी निकायों में पार्टी ने मेयर का टिकट काटकर नए चेहरों पर दांव लगाया है। देखना होगा कि पार्टी का यह प्रयोग कितना कामयाब होता है। 17 नगर पालिकाओं में भी भाजपा पिछली बार जीती थी। पार्टी के सामने इन सभी नगर पालिकाओं में वापसी करने की चुनौती है। करीब 21 निकायों में भी भाजपा को अपनी प्रतिष्ठा बचानी है।