भ्रष्ट पुलिस अधिकारियों को संरक्षित नही करना चाहिये, इन्हें जेल डाल देना चाहिये- सुप्रीम कोर्ट ।

मीडिया ग्रुप, 27 सितंबर, 2021

भ्रष्ट अधिकारियों का सरकार के साथ आपका तालमेल ठीक होता है, तो खूब पैसा बना सकते हैं लेकिन बाद में ब्याज के साथ भुगतान करना होता है।

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि जो पुलिस अधिकारी अनुकूल सरकार के साथ तालमेल बिठाकर गलत तरीकों से पैसा कमाते उन्हें सरकार बदलने पर अपनी करनी का भुगतान करना पड़ता है।

चीफ जस्टिस एनवी रमना ने मौखिक रूप से कहा कि इस श्रेणी में आने वाले पुलिस वालों को संरक्षित नहीं किया जाना चाहिए, उन्हें जेल में डाल देना चाहिए।

छत्तीसगढ़ के निलंबित आइपीएस अधिकारी गुरजिंदर पाल सिंह की याचिका पर सुनवाई करते हुए शीर्ष अदालत ने कहा कि अगर आप सरकार के करीबी हैं और ये काम करते हैं तो यही होता है। आपको एक दिन इसका भुगतान करना पड़ता है।

शीर्ष अदालत ने निलंबित आइपीएस अधिकारी के वकील को बताया कि उसका मुवक्किल हर मामले में गिरफ्तारी से सुरक्षा नहीं ले सकता। पीठ ने कहा कि वह वसूली के आरोपों का सामना कर रहे अधिकारी को गिरफ्तारी से अंतरिम संरक्षण देने के लिए इच्छुक नहीं है।

दरअसल इस अधिकारी ने एक मामले में सुरक्षा की मांग करते हुए शीर्ष अदालत का रुख किया था। छत्तीसगढ़ सरकार ने उनके खिलाफ आय से अधिक संपत्ति और राजद्रोह का मामला दायर कर रखा है।

पीठ, जिसमें जस्टिस सूर्यकांत और हेमा कोहली भी शामिल हैं, ने कहा कि जब सरकार के साथ आपका तालमेल ठीक होता है, तो आप खूब पैसा बना सकते हैं। लेकिन बाद में आपको ब्याज के साथ भुगतान करना होता है।

पीठ ने आगे कहा कि यह देश में एक चलन बन गया है और पूछा कि ऐसे अधिकारियों को सुरक्षा क्यों देनी चाहिए। सिंह के वकील ने कहा कि उनके जैसे अधिकारियों को सुरक्षा की जरूरत है। पीठ ने उन्हें यह कहते हुए खारिज कर दिया कि नहीं, उन्हें जेल जाना होगा।

हालांकि, शीर्ष अदालत ने दलीलें सुनने के बाद सिंह को अंतरिम संरक्षण देकर छत्तीसगढ़ सरकार को नोटिस जारी कर दिया। शीर्ष अदालत ने मामले की अगली सुनवाई पहली अक्टूबर को निर्धारित की है। यह तीसरा मामला है जिसमें सिंह ने सुरक्षा की मांग करते हुए शीर्ष अदालत का रुख किया था। 26 अगस्त को, शीर्ष अदालत ने उन्हें दो अन्य मामलों में अंतरिम सुरक्षा प्रदान की थी। इस मामले पर पिछली सुनवाई में, शीर्ष अदालत ने मौखिक रूप से एक परेशान करने वाली प्रवृत्ति की ओर इशारा किया था, जहां पुलिस अधिकारी सत्तारूढ़ पार्टी का साथ दे रहे थे, बाद में उन्हें निशाना बनाया जा रहा था।

गुरजिंदर पाल सिंह के खिलाफ राजद्रोह का मामला राज्य के भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो द्वारा लिखित शिकायत के आधार पर दर्ज किया गया है। शुरुआती निष्कर्षो में पाया गया कि उन्होंने आय से अधिक संपत्ति अर्जित की। उनके पास से कुछ दस्तावेज भी जब्त किए गए, जो सरकार के खिलाफ साजिश में उनके शामिल होने की ओर इशारा कर रहे थे।