मीडिया ग्रुप, 20 दिसंबर, 2022
नैनीताल। उत्तराखण्ड हाईकोर्ट ने प्रदेश में मशीनों से खनन पर रोक लगा दी है। इस सम्बंध में कोर्ट ने सभी जिलाधिकारियों को आदेश जारी किया है। जानकारी के मुताबिक हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति विपिन सांघी व न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खंडपीठ ने नदियों में मशीनों से खनन पर रोक लगा दी है।
हाई कोर्ट ने सचिव (खनन) से पूछा है कि वन विकास निगम की वेबसाइट पर प्रति कुंतल रॉयल्टी 31 रूपया और प्राइवेट खनन वालों की वेबसाइट पर 12 रुपया प्रति कुंतल रॉयल्टी कैसे है, 12 जनवरी तक शपथपत्र के माध्यम से बताए।
सभी जिलाधिकारियों को नदियों तट पर खनन के लिए लगी मशीनों को सीज करने के आदेश भी दिए है। अगली सुनवाई को 12 जनवरी की तिथि नियत की है। सोमवार को मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली खंडपीठ में जनहित याचिका पर सुनवाई हुई।
जिसमें कहा है कि प्रदेश में मशीनों से खनन की अनुमति नहीं है, फिर भी प्रदेश में भारी मशीनों के साथ खनन किया जा रहा है। खनन नियमावली में मैन्यूली खनन की अनुमति है, इस पर रोक लगाई जाए। जनहित याचिका में यह भी कहा गया है कि सरकारी व प्राइवेट खनन की रॉयल्टी दरों में भी भिन्नता है।
वन निगम की वेबसाइट पर 31रुपया प्रति कुंतल और प्राइवेट में 12 रुपया प्रति कुंतल रॉयल्टी निर्धारित है। जिसकी वजह से प्राइवेट खनन कारोबारी कम टैक्स दे रहे है। सरकारी ज्यादा, जिससे सरकार को घाटा हो रहा है, ग्राहक प्राइवेट खनन कारोबारियों से माल खरीद रहे है। सरकारी व प्राइवेट में एक समान रॉयल्टी दरें निर्धारित हो।