तीन साल में 900 अवैध गर्भपात करने के आरोप में बंगलूरू पुलिस ने एक डॉक्टर और उसके लैब तकनीशियन को गिरफ्तार किया है। आरोपियों की पहचान डॉ. चंदन बल्लाल और लैब तकनीशियन निसार के रूप में हुई है। दोनों ने प्रत्येक गर्भपात के लिए करीब 30 हजार रुपये लिए।
अस्पताल की मैनेजर मीना और रिसेप्शनिस्ट रिजमा खान को इस महीने की शुरुआत में गिरफ्तार किया गया था। पुलिस ने पिछले महीने लिंग-निर्धारण और कन्या भ्रूण हत्या रैकेट का भंडाफोड़ करते हुए दो आरोपियों शिवालिंगे गौड़ा और नयन कुमार को मैसूर के पास मांड्या में गिरफ्तार किया था, जब वे एक गर्भवती महिला को कार में गर्भपात के लिए ले जा रहे थे। पुलिस ने बताया कि इस रैकेट की शुरुआत चेन्नई के एक डॉ. तुलसीराम ने की थी, जिसे पहले ही गिरफ्तार किया जा चुका है।
गुड़ बनाने की फैक्टरी में करते थे अल्ट्रासाउंड
एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा कि पूछताछ के दौरान दोनों आरोपियों ने स्वीकार किया कि मांड्या में एक गुड़ बनाने की फैक्ट्री में वे अल्ट्रासाउंड करते थे। यहां से बाद में पुलिस टीम ने स्कैन मशीन जब्त कर ली। उनके पास वैध व अन्य आधिकारिक दस्तावेज नहीं थे। उन्होंने कहा कि रैकेट से जुड़े अन्य संदिग्धों को पकड़ने के लिए आगे की जांच जारी है।
कबाड़ हो चुकी मशीन ठीक कराई
पुलिस के मुताबिक, उन्होंने जो स्कैन मशीन जब्त की है वह सिद्धेश नामक इलेक्ट्रॉनिक सामान मरम्मत करने वाले से ली गई थी। यह एक कबाड़ हो चुकी मशीन थी, जिसे सिद्धेश ने ठीक किया था, जो फिलहाल फरार है।
पैसे लेकर गर्भपात कराने वाले जोड़ों को पता बताता था वीरेश
पुलिस के अनुसार, डॉ. बल्लाल और डॉ. तुलसीराम ने इस रैकेट के लिए पूर्व के रिश्तेदार टीएम वीरेश के साथ मिलीभगत की थी। डॉ. तुलसीराम की मां गर्भपात कराती थी। बाद में उसने इसे धंधा बना लिया और आखिरकार बल्लाल के साथ मिलीभगत कर ली। डॉक्टरों ने वीरेश को कमीशन की पेशकश की। वह भ्रूण के लिंग से नाखुश होने पर गर्भपात का विकल्प चुनने वाले जोड़ों को रेफर करता।